जो लोग बिहार से सारी उम्मीदें छोड़ चुके थे, उनकी नजर में नीतीश कुमार ने एक चमत्कारी पुरुष का दर्जा हासिल कर लिया है। आखिर उन्होंने राज्य के पुनरुत्थान का काम कैसे किया ? नीतीश कुमार कोई पेशेवर प्रबंधक नहीं, एक राजनीतिज्ञ हैं। नवंबर 2005 में जब उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री का पद ग्रहण किया, वे अधिकारियों को अकसर याद दिलाते थे कि सरकार के प्रदर्शन में उनके मंत्रालय का सबकुछ दाँव पर लगा है, न कि नौकरशाही का। अगर सरकार को कामयाबी मिलती है तो उसका सारा श्रेय उनके मंत्रालय को मिलेगा; अगर वह असफल रही तो उनके मंत्रालय को सारा दोष अपने सिर लेना होगा। नौकरशाहों की नौकरियाँ नहीं जाएँगी, उन्हें (मुख्यमंत्री को) जाना होगा।
इस प्रकार नीतीश कुमार ने जनता की मूल जरूरतों से जुड़े मुद्दों को हल करने की दिशा में काम करके लोगों के दिलों में स्थायी जगह बना ली और सामाजिक क्रांति के पुरोधा के रूप में उभरे। सुधार की यह प्रक्रिया अनवरत जारी है।
नीतीश कुमार की सामाजिक क्रांति की अनकही, प्रेरक, रोचक और साहसिक अभियानों से रू-ब-रू कराती एक पठनीय एवं संग्रहणीय औपन्यासिक गाथा।
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Specifications
Book Details
Publication Year
2024 August
Number of Pages
184
Contributors
Author Info
डॉ. अशोक चौधरी भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। वर्तमान में बिहार सरकार में ग्रामीण कार्य विभाग के मंत्री हैं। पूर्व में बिहार सरकार में शिक्षा, कारा, भवन निर्माण, समाज कल्याण, अल्पसंख्यक कल्याण तथा सूचना एवं प्रावैधिकी विभाग के मंत्री भी रहे। वर्ष 2000 में पहली बार बिहार के बरबीघा विधानसभा क्षेत्र से विधायक बने और तत्कालीन सरकार के मंत्रिमंडल में कारा राज्यमंत्री बनाए गए। वे बिहार विधान परिषद् के सदस्य भी हैं।
शांभवी चौधरी देश की सबसे युवा सांसद हैं और बिहार के समस्तीपुर लोकसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। उनके व्यक्तित्व में शैक्षणिक प्रतिभा, सामाजिक सरोकारों में सक्रियता और राजनीतिक विरासत का सुंदर मिश्रण है। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स और लेडी श्रीराम कॉलेज से समाजशास्त्र में उच्च शिक्षा प्राप्त की है। संप्रति वे मगध विश्वविद्यालय से बिहार की राजनीति में जाति एवं लिंग के प्रभावों पर पी-एच.डी. कर रही हैं।