बिंब प्रतिबिंब’ शीर्षक यह किताब हिंदी भाषा में कविताओं के माध्यम से जीवन की अवधारणा पर विमर्श प्रस्तुत करती है। एक ओर यह किताब हिंदी साहित्य में हो रहे बदलावों पर नजर रखती है, दूसरी तरफ बदल रहे सामाजिक परिदृश्यों के सापेक्ष साहित्य के क्षेत्र में बुनियादी तत्वों को रेखांकित भी करती है। आज के भारतीय परिप्रेक्ष्य में नारी और पुरुष के अस्तित्व की विभिन्न लड़ाइयाँ हैं। हिंदी साहित्य की अवधारणा इन सभी की पीड़ाओं में समानता देखती है तथा इनके शोषण के कारणों को कमोबेश समान पाती है। यह किताब साहित्य के शोधार्थियों के कारणों को कमोबेश समान पाती है। यह साहित्य नजरिये से जीवन को समझने की आकंाक्षा रखने वाले जागरूक लोगों के लिए भी है और उनके लिए भी जो स्वयं को सभ्य समाज का हिस्सा मानते हंै। फिर चाहे वे सामाजिक कार्यकर्ता हों या राजनेता..... जीवन के हर पहलू से जुड़े सभी सवालों का यह किताब उतर देती है।
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Specifications
Publication Year
2022
Ratings & Reviews
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Worth the money
This book depicts the life of a woman written in a puck very well written very well depicted and very accurate ,Everything is written in its own beautiful way don't understand ever you feel like you are somewhere the character is depicted in this very good book please read by all☺️