मैं लिखती नहीं वही लिखवाता है
जो मुझमें भी तुझमें भी दिख जाता है
वो सदृश्य भी अदृश्य भी है और नहीं भी
वो एक ही एहसास सर्वत्र अभी यहीं कहीं
मेरी स्तुति उन्हीं चरणों का नित ध्यान
वो जाने लेकिन प्राप्त कहां पूर्ण ज्ञान
अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष जीवन के आयाम
शब्दों में अंकित हो कहां सर्वशक्तिमान
मेरी श्वांस सुगंधि में वही महकता प्राण
हे नाथ शब्द रहित तुझको मेरा प्रणाम
ये पुस्तक दे पाए जीवन लक्ष्य प्रधान
पूर्ण परमेश्वर विनती दो यही वरदान।।
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Specifications
Publication Year
2024
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