गत आगत या अनागत, चलें सतत अविराम।
जैसे हर दिन चल रहे, सुबह दुपहरी शाम।।
गत, आगत और अनागत, कल आज और कल या कहें भूत, वर्तमान और भविष्य तीनों परस्पर एक दूसरे में गुँथे हुए हैं।
अतीत भुलाया नहीं जा सकता, वर्तमान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता, और भविष्य अनागत होते हुए भी झुठलाया नहीं जा सकता। गत हमेशा आगत के प्रति चिंतित और अनागत के प्रति जागरूक रहता है। तीनों निरंतर प्रवहमान हैं। अनागत पल-पल आगत में परिवर्तित होता हुआ विगत के गर्भ में समाता चला जाता है। अपनी-अपनी जगह इन तीनों की महत्ता स्वतः सिद्ध है। वर्तमान को हमेशा अतीत के तजुर्बों से शिक्षा ग्रहण करते हुए वर्तमान में सजग रह भविष्य को समुज्ज्वल बनाने के लिए निरंतर प्रयासरत रहना चाहिए।
इस पुस्तिका में आपको वक्त की इन तीनों अवस्थाओं की मार्मिक अभिव्यक्ति देखने को मिलेगी।
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Publication Year
2024
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