जख्म किसे नही होते, यहाँ हर कोई जख्मों से घायल है, अपने अंदर के शोर से परेशान है| जख्मोसे घायल रहोगें, तो संभलो गे कैसे? अपने अंदर का शोर ना सुनोगे, तो शांतिसे सोओगे कैसे? भूला दीजिये अब वो बातें, जिनसे अब कोई वफ़ा नहीं, कोई वास्ता नहीं| लंबी उम्र है, लंबी उम्र की खूबसूरत दास्तां लिखनी है| पुराने किस्सों से उम्मीद को क्यों मारना? तुम इस तरह ना मुरझा जाना, जब किस्मत ने लिखा है कब तुम्हें फूल की तरह है खिलना| बेहतर होगा, जो बीत गया उसे भूल जाना, कल की नहीं आज की सोचना, आनेवाले कल को बाहे खोल के तुम आजमाना...!
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