Jainendra Kumar - Vivah Prem Aur Naitikta

Jainendra Kumar - Vivah Prem Aur Naitikta (Hindi, Hardcover, Jain Mahendra Raja)

Share

Jainendra Kumar - Vivah Prem Aur Naitikta  (Hindi, Hardcover, Jain Mahendra Raja)

इस प्रोडक्ट पर राय देने वाले पहले व्यक्ति बने
₹442
450
1% off
i
उपलब्ध ऑफ़र
  • Bank Offer5% cashback on Flipkart Axis Bank Credit Card upto ₹4,000 per statement quarter
    T&C
  • Bank Offer5% cashback on Axis Bank Flipkart Debit Card up to ₹750
    T&C
  • Bank Offer5% cashback on Flipkart SBI Credit Card upto ₹4,000 per calendar quarter
    T&C
  • Bank OfferUp To ₹50 Instant Cashback on BHIM Payments App. Min Order Value ₹199. Offer Valid Once Per User
    T&C
  • Delivery
    Check
    Enter pincode
      डिलीवरी2 सितंबर, मंगलवार
      ?
    जानकारी देखें
    लेखक
    Read More
    Highlights
    • Language: Hindi
    • Binding: Hardcover
    • Publisher: Vani Prakashan
    • Genre: Fiction
    • ISBN: 9789326354196
    • Edition: 1st, 2015
    • Pages: 331
    सर्विस
    • कैश ऑन डिलीवरी उपलब्ध
      ?
    Seller
    SunriseBookStreet
    4.3
    • 7 Days Replacement Policy
      ?
  • अन्य विक्रेता देखें
  • जानकारी
    जैनेन्द्र कुमार : विवाह, प्रेम और नैतिकता - मीडिया और टेलीविज़न ने 'विवाह', 'प्रेम' और 'नैतिकता'—इन तीन शब्दों को आज इतना अधिक चर्चित बना दिया है कि कभी-कभी न चाहते हुए भी लोगों की बातचीत में ये शब्द अनायास आ ही जाते हैं और जब जैनेन्द्र कुमार की बात हो तब तो किसी न किसी रूप में इनकी चर्चा होना ही है। वस्तुत: जैनेन्द्र कुमार ने इन तीनों के विषय में इतना अधिक लिखा है कि इन तीनों शब्दों की तो बात ही क्या, इनमें से किसी भी एक शब्द को जैनेन्द्र कुमार के सन्दर्भ से अलग नहीं किया जा सकता। इन तीनों पर एक साथ और अलग-अलग कई शोध ग्रन्थ भी लिखे जा सकते हैं। 'विवाह', 'प्रेम' और 'नैतिकता' पर जैनेन्द्र कुमार के विचारों और सूक्तियों का यह संकलन जैनेन्द्र के अध्ययेताओं के साथ ही जैनेन्द्र के साहित्य में थोड़ी भी रुचि रखनेवालों के लिए भी उपयोगी होगा। जैनेन्द्र कुमार ने इतने अधिक विषयों पर और इतने विस्तार से लिखा है कि किसी भी विषय पर जैनेन्द्र को ठीक से समझने के लिए इस प्रकार के सन्दर्भ ग्रन्थ की आवश्यकता से इनकार नहीं किया जा सकता। सामान्य पाठक के लिए भी रोचक और मनोरंजक इस पुस्तक में 'विवाह', 'प्रेम' और 'नैतिकता' के सम्बन्ध में लगभग 300 विषय शीर्षकों के अन्तर्गत जैनेन्द्र कुमार के विचारों का निचोड़ रख दिया गया है। यह शोध ग्रन्थ ही नहीं 'काफ़ी टेबिल बुक' भी है, जो बुक शेल्फ़ ही नहीं किसी भी ड्राइंग रूम की भी शोभा बढ़ायेगी। आशा है शोधार्थियों के साथ ही सामान्य पाठकों के लिए भी समान रूप से उपयोगी इस पुस्तक का पुस्तक जगत में स्वागत होगा।
    Read More
    Specifications
    Book Details
    Imprint
    • Jnanpith Vani Prakashan
    Publication Year
    • 2015
    Contributors
    Author Info
    • महेन्द्र राजा जैन - जन्म: 10 मार्च, 1932, इटारसी (मध्य प्रदेश)। शिक्षा : एम.ए., डिप्लोमा इन लाइब्रेरी साइन्स (बनारस); फ़ेलो आफ़ द लाइब्रेरी एसोसिएशन (लन्दन)। भारत के अतिरिक्त ब्रिटेन, आयरलैंड, तंजानिया और जाम्बिया के सार्वजनिक एवं विश्वविद्यालयीन पुस्तकालयों में 27 वर्ष तक कार्य करने का अनुभव। सात वर्ष तक लन्दन के लाइब्रेरी एसोसिएशन की फ़ेलोशिप। परीक्षा के वरिष्ठ परीक्षक 1989 में इंडियन एक्सप्रेस, दिल्ली के पुस्तकालयाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त। 'हिन्दी पुस्तकों का वर्गीकरण' प्रोज़ेक्ट पर कौंसिल ऑन लाइब्रेरी रिसोर्सेज वाशिंगटन एवं लाइब्रेरी एसोसिएशन लन्दन से दो वर्ष के लिए अनुदान 'इंडिया हू इज़ हू' तथा 'हू इज़ हू इन लाइब्रेरियनशिप' (लन्दन 1971) में नाम शामिल। हिन्दी की प्रायः सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। लन्दन से वाराणसी के दैनिक 'आज' के लिए आठ वर्ष तक साप्ताहिक। 'लन्दन की चिट्ठी' और दारेस्सलाम (तंजानिया) से चार वर्ष तक साप्ताहिक 'पूर्वी अफ्रीका की चिट्ठी' तथा दोनों जगहों से मासिक 'विदेश की साहित्यिक डायरी' का लेखन। अब तक 50 से अधिक देशों की यात्रा। प्रकाशित पुस्तकें—वाराणसी से लन्दन : अंग्रेज़ अपने मुल्क में', 'साहित्य के नये सन्दर्भ', 'विराम चिह्न : क्यों और कैसे?', 'नामवर विचार कोश', 'क्या, कब, कहाँ?' ('हंस' के 27 वर्षों की लेखक, शीर्षक, विषयानुक्रमणिका)।
    Dimensions
    Height
    • 220 mm
    Length
    • 140 mm
    Weight
    • 450 gr
    Safe and Secure Payments.Easy returns.100% Authentic products.
    आप यह भी खरीदना चाहेंगे
    जनरल फिक्शन और क्लासिक किताबें
    कम से कम 50% की छूट
    Shop Now
    कविताओं की किताबें
    कम से कम 50% की छूट
    Shop Now
    लोकप्रिय मनोविज्ञान की किताबें
    कम से कम 50% की छूट
    Shop Now
    जीवनियां और आत्मकथाएं
    कम से कम 50% की छूट
    Shop Now
    Back to top