मेरी दीवार पर -
अय्यप्प पणिक्कर की कविताएँ जीवन के प्रत्येक रूप का स्पर्श करती प्रतीत होती हैं। जीवन के यथार्थ में जो कटु सत्य भर आते हैं उन्हें उकेरने में उनकी क़लम हिचकती नहीं। उनकी छोटी कविताएँ तो और भी अधिक प्रभावशाली तरीक़े से सत्य की खोज कर उन्हें अभिव्यक्ति में रूपान्तरित करती हैं। पणिक्कर की कविताओं में क्षेत्रीय लोक-शैली की झलक भी मिल जाती है। ऐसी कविताएँ मलयालम काव्यमंच पर बहुत प्रसिद्धि पा चुकी हैं। भाषा के स्तर पर यूँ पणिक्कर की कविताओं का अनुवाद करना एक चुनौती भरा कार्य प्रतीत होता है किन्तु अनुवादक ने इस पुस्तक में संकलित कविताओं का अनुवाद इस तरह से प्रस्तुत से किया है कि ये मूल कविता का-सा आनन्द देती हैं।
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Specifications
Book Details
Publication Year
2003
Contributors
Author Info
अय्यप्प पणिक्कर -
'अय्यप्प पणिक्कर' मलयालम में आधुनिक कविता के प्रवर्तक माने जाते हैं। वे पहले कवि हैं जिन्होंने मलयालम में पूर्ण यथार्थवादी समसामयिक और आम बोलचाल की भाषा में कविता लिखने का साहस किया। छन्द रहित कविता रचना के साथ-साथ वे नये छन्दविधान और नयी शैली के जन्मदाता भी हैं। दूसरे शब्दों में पणिक्कर ने परम्परा को तोड़ते हुए परम्परा का इस तरह अनुमोदन किया कि मलयालम कविता को नयी राह मिली।
अनुवादक - रति सक्सेना -
रति सक्सेना कविता, आलोचना, यात्रा-वृतान्त, संस्मरण, और अनुवाद विधा में सिद्धहस्त हैं। उन्हें साहित्य अकादेमी पुरस्कार (अनुवाद के लिए) तथा इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र से फ़ेलोशिप प्राप्त है। फिलहाल वे कृत्या नाम से एक वेब कविता पत्रिका का सम्पादन करती हैं।
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