Nakkash

Nakkash (Paperback, Mukesh Bhardwaj)

Share

Nakkash  (Paperback, Mukesh Bhardwaj)

इस प्रोडक्ट पर राय देने वाले पहले व्यक्ति बने
₹322
325
i
उपलब्ध ऑफ़र
  • Bank Offer5% cashback on Flipkart Axis Bank Credit Card upto ₹4,000 per statement quarter
    T&C
  • Bank Offer5% cashback on Axis Bank Flipkart Debit Card up to ₹750
    T&C
  • Bank OfferUp To ₹30 Instant Cashback on BHIM Payments App. Min Order Value ₹199. Offer Valid Once Per User
    T&C
  • Bank OfferFlat ₹10 Instant Cashback on Paytm UPI Trxns. Min Order Value ₹500. Valid once per Paytm account
    T&C
  • Delivery
    Check
    Enter pincode
      डिलीवरी8 अगस्त, शुक्रवार
      ?
    जानकारी देखें
    लेखक
    Read More
    Highlights
    • Binding: Paperback
    • Publisher: Vani Prakashan
    • Genre: Novel
    • ISBN: 9789357757041
    • Edition: 1st, 2024
    • Pages: 202
    सर्विस
    • कैश ऑन डिलीवरी उपलब्ध
      ?
    Seller
    SunriseBookStreet
    4.2
    • 7 Days Replacement Policy
      ?
  • अन्य विक्रेता देखें
  • जानकारी
    देश की राजधानी दिल्ली में अरावली की पहाड़ियों के बीच एक अकादमिक द्वीप, यानी जेएनयू । यहाँ का विद्यार्थी अभिमन्यु साहित्य के साथ समाज और राजनीति का अनुसन्धान कर रहा है। क्रान्ति के गीत गाती एक प्यारी-सी लड़की के साथ इक्कीसवीं सदी में आते-आते ही थक गये पूँजीवाद पर जोशीला विमर्श करता है। ग़ालिब, भगत सिंह, अम्बेडकर की बहसों के बीच से क़िस्मत की तेज़ लहरें उसे जेएनयू के द्वीप से उठाकर संघर्ष की मुख्यधारा की ज़मीन पर पटक जाती हैं। जेएनयू की अकादमिक विरासत और दिल्ली पुलिस का बिल्ला दोनों कन्धे पर एक साथ नहीं रह सकते थे। जेएनयू से जुदा होने के बाद फिर एक बार उसकी ज़िन्दगी में जेएनयू आता है। किसान आन्दोलन, दिल्ली की राजनीति के बीच पैदा होती है एक ऐसी अकादमिक अपराध कथा जो अभिमन्यु की तासीर की तस्दीक़ करती है। अच्छा पढ़ने का सुख, जीवन के कई सुखों में से एक था। इसी सुख से एक ललक पैदा हुई लिखने की। इसी ललक ने पैदा किया अभिमन्यु को। इसके बाद चिन्ता हुई कि भविष्य क्या होगा इस किरदार का? क्या इसे पढ़ना पाठकों के लिए सुखकर होगा? पाठक पचहत्तर पेज पढ़ने के बाद क्या एक बार आख़िरी पृष्ठ-संख्या देखकर सोचेगा कि इसे पूरा पढ़ ही लूँ, तब अपनी कॉफ़ी बनाने जाऊँ? क्या अदरकवाली चाय की गन्ध के साथ दिमाग़ पर अभिमन्यु की गन्ध भी तारी होगी? किताब बन्द करने के बाद भी क्या पाठकों के दिलो-दिमाग़ पर उसका क़िस्सा खुला रहेगा? क्या पाठक शाब्दिक अभिमन्यु के हिसाब से कोई रंग-रूप भी देने लगेंगे? दो उपन्यास के बाद इन सबका जवाब 'हाँ' में मिल रहा है। अन्दाज़ा नहीं था कि अभिमन्यु को पाठकों का इतना बड़ा परिवार और प्यार मिलेगा। इस प्यार के सदक़े अब अभिमन्यु मेरा नहीं आपका किरदार है। -मुकेश भारद्वाज
    Read More
    Specifications
    Book Details
    Publication Year
    • 2024
    Contributors
    Author Info
    • मुकेश भारद्वाज - इंडियन एक्सप्रेस समूह में पत्रकारिता की शुरुआत कर हिन्दी दैनिक 'जनसत्ता' के कार्यकारी सम्पादक तक का सफर । 'इंडियन एक्सप्रेस' व 'जनसत्ता' में अंग्रेज़ी और हिन्दी दोनों भाषा में काम किया। लेकिन 'जनसत्ता' की कमान संभालने के बाद महसूस हुआ कि जब हम जन की भाषा में पत्रकारिता करते हैं तो उस समाज और संस्कृति का हिस्सा होते हैं जिससे हमारा नाभिनाल सम्बन्ध है। पिछले कुछ समय से समाज और राजनीति के नये ककहरे से जूझने की जद्दोजहद जारी है। संचार के नये साधनों ने पुरानी दुनिया का ढाँचा ही बदल दिया है। स्थानीय और स्थायी जैसा कुछ भी नहीं रहा। एक तरफ़ राज्य का संस्थागत ढाँचा बाज़ार के खम्भों पर नया-नया की चीख़ मचाये हुए है तो चेतना के स्तर पर नया मनुष्य पुराना होने की जिद पाले बैठा है। राजनीति वह शय है जो भूगोल, संस्कृति के साथ आबोहवा बदल रही है। लेकिन हर कोई एक-दूसरे से कह रहा कि राजनीति मत करो। जब एक विषाणु ने पूरी दुनिया पर हमला किया तो लगा इन्सान बदल जायेगा, लेकिन इन्सान तो वही रहा और पूरी दुनिया की राजनीति लोकतन्त्र से तानाशाही में बदलने लगी। राजनीति के इसी सामाजिक, भौगोलिक, आर्थिक और सांस्कृतिक यथार्थ को 'जनसत्ता' में अपने स्तम्भ 'बेबाक बोल' के ज़रिये समझने की कोशिश की जिसने हिन्दी पट्टी में एक ख़ास पहचान बनायी। 'बेबाक बोल' के सभी लेख एक समय बाद किताब के रूप में पाठकों के हाथ में होते हैं। इसके बाद प्रेम और राजनीति के परिप्रेक्ष्य में नये युग की अपराध-कथा कहता यह उपन्यास नक़्क़ाश।
    Safe and Secure Payments.Easy returns.100% Authentic products.
    आप यह भी खरीदना चाहेंगे
    मेडिकल और नर्सिंग की किताबें
    कम से कम 50% की छूट
    Shop Now
    जीवनियां और आत्मकथाएं
    कम से कम 50% की छूट
    Shop Now
    भाषा और अनुवाद की किताबें
    कम से कम 50% की छूट
    Shop Now
    इंडस्ट्रियल स्टडीज की किताबें
    कम से कम 50% की छूट
    Shop Now
    Back to top