पदचिह्न -
ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित ओड़िया के प्रतिष्ठित कवि सीताकान्त महापात्र की कविताओं के नवीन संग्रह 'पदचिह्न' का हिन्दी में सहज सुन्दर रूपान्तर। सीताकान्त के इस संग्रह की कविताओं को विराट् फलक पर एक बड़े कवि के सार्थक हस्तक्षेप के रूप में स्वीकार किया जा सकता है।
अपने युग और परिवेश का प्रभाव हर महान रचनाकार की कृति पर होता है। रचना की प्रासंगिकता के लिए शायद यह ज़रूरी भी है। दरअसल रचना में अनुभव और अभिव्यक्ति का दायरा जितना बड़ा होता है, वह तमाम समयों में भी निरन्तर अर्थवान बनी रहते हुए युगों के पार पहुँचती है। कहा जाता है कि सीताकान्त जी समय और शब्द के कवि हैं। निस्सन्देह उनका यह 'पदचिह्न' संग्रह इस दृष्टि से अद्वितीय है; बल्कि यह कहना भी सही होगा कि सतत खोज में लगी अपनी जीवन-दृष्टि और खरी अनुभूति के साथ अब सीताकान्त महापात्र की कविता समय के सत्य में उतरकर समयातीत को थाहने की रचनात्मक यात्रा के शिखर पर है।
हिन्दी पाठकों के हाथों में समर्पित है इस महत्त्वपूर्ण कृति का नया संस्करण।
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Specifications
Book Details
Publication Year
2005
Contributors
Author Info
सीताकान्त महापात्र -
1937 में जनमे सीताकान्त ने उत्कल, इलाहाबाद तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की। 1975-77 में होमी भामा फ़ेलोशिप पाकर 'भारतीय आदिम समुदायों की आधुनिकीकरण प्रकिया' का अध्ययन किया। सामाजिक नृतत्त्व विज्ञान में उन्होंने डॉक्टरेट प्राप्त की है।
अब तक उड़िया कविताओं के उनके 12 संकलन, 4 निबन्ध-संग्रह, आदिवासी कविता के अंग्रेज़ी अनुवाद प्रकाशित। हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं के अलावा अनेक विदेशी भाषाओं में रचनाएँ अनूदित प्रकाशित।
ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादेमी पुरस्कार, सोवियत लैण्ड अवार्ड, सारला पुरस्कार, कुमारन आशन पुरस्कार, राज्य साहित्य अकादेमी पुरस्कार आदि से सम्मानित।
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