Ramayan Ka Aachar Darshan

Ramayan Ka Aachar Darshan (Hindi, Hardcover, Srivastava Amba Prasad)

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Ramayan Ka Aachar Darshan  (Hindi, Hardcover, Srivastava Amba Prasad)

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      डिलीवरी6 जुलाई, रविवार|87
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    लेखक
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    Highlights
    • Language: Hindi
    • Binding: Hardcover
    • Publisher: Vani Prakashan
    • Genre: Religion
    • ISBN: 9788126340170
    • Edition: 3rd, 2012
    • Pages: 336
    सर्विस
    • कैश ऑन डिलीवरी उपलब्ध
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    BOOKCENTRE
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  • जानकारी
    रामायण का आचार-दर्शन - भारतीय संस्कृति में रामकथा के अध्ययन और विवेचन की एक सुदीर्घ परम्परा है। इस संश्लिष्ट परम्परा को समझने के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण भी आवश्यक है, जो इसको देखने और उसकी परम्पर विरोधी अभिव्यक्तियों को समझने में सहायक बन सके। इस दिशा में 'रामायण' के मनीषी अध्येता और विचारक अम्बा प्रसाद श्रीवास्तव की यह पुस्तक एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है। रामायण में राम, लक्ष्मण, हनुमान, बाली, रावण आदि प्रमुख पात्रों के साथ ही अन्य सैकड़ों पात्रों का उल्लेख हुआ है। वाल्मीकि ने अपने अद्भुत काव्य-कौशल से परस्पर विरोधी पात्रों को एक ही कथा-सूत्र में इस तरह समाहित किया है कि आदर्शों और सिद्धान्तों के वैपरीत्य का पाठकों को आभास तक नहीं होता। लेकिन इस बिन्दु पर अध्येताओं का ध्यान प्रायः नहीं गया है कि रामकथा के सभी पात्रों के आदर्शों और चरित्रों में बड़ी भिन्नताएँ हैं। प्रस्तुत पुस्तक में रामायण के प्रमुख चरित्रों के आदर्शों का तटस्थ और विवेकी अध्ययन है। इसमें पात्रों के उन विचारों और कर्मों का निस्संकोच उल्लेख है जिनके कारण लेखक पर अनास्थावादी होने का आरोप भी लगाया जा सकता है। लेकिन कहना न होगा कि सारे निष्कर्ष लेखकीय आग्रह का परिणाम नहीं, बल्कि महर्षि वाल्मीकि के ही निष्कर्ष हैं। वाल्मीकि रामायण के आधार पर प्रमुख पात्रों के आचार-दर्शन के निष्पक्ष और अद्वितीय अध्ययन का यह प्रयास, आशा है, विद्वान् पाठकों को सन्तोष देगा।
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    Specifications
    Book Details
    Imprint
    • Jnanpith Vani Prakashan
    Publication Year
    • 2012
    Contributors
    Author Info
    • अम्बा प्रसाद श्रीवास्तव - चैत्र शुक्ल 10, सं. 1983 को सेंवढ़ा, दतिया (म.प्र.) के एक प्रतिष्ठित साहित्यिक परिवार में जन्म। संस्कृत में स्नातक; साथ ही मराठी, उर्दू, फ़ारसी और अंग्रेज़ी साहित्य का विशेष अध्ययन। भारतीय दर्शन तथा प्राचीन भारतीय वाङ्मय के अधिकारी विद्वान् और सम्पादक के रूप में प्रख्यात। सन् 1945 से 'माधुरी', 'चाँद' आदि पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन शुरू हुआ। अभी तक एक हज़ार से अधिक निबन्ध प्रकाशित हो चुके हैं। प्रकाशित पुस्तकें हैं—'अक्षर अनन्य', 'परशुराम', 'कालिदास', ‘विन्ध्य-भूमि की लोक-कथाएँ'; तथा अनेक पुस्तकों का सम्पादन।
    Dimensions
    Height
    • 220 mm
    Length
    • 140 mm
    Weight
    • 450 gr
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