धर्मेन्द्र यथार्थ और कल्पना को गूँथकर ऐसी अतिवास्तविकता रचते हैं जो समाज में व्याप्त रूढ़ियों, अन्धविश्वासों और बुराइयों को खोलकर हमारे सामने रख देती है और हमें सोचने पर मजबूर कर देती है। एक प्रभावी अतिवास्तविकता रचने के लिये धर्मेन्द्र जादुई यथार्थ और विज्ञान फंतासी का उपयोग करने से भी नहीं हिचकिचाते। धर्मेन्द्र अपनी रचनाओं में नये प्रयोग करने के लिये जाने जाते हैं। इस उपन्यास में भी धर्मेन्द्र ने उपन्यास के प्रचलित शिल्प से हटकर एक नया प्रयोग किया है और पत्र लेखन शैली में उपन्यास की रचना की है। इस उपन्यास में उन्होंने एक समूची पीढ़ी के विद्रोह, संघर्ष, असफलता, मोहभंग और बदलते आदर्शों की कथा प्रेम को प्रतीक बनाकर प्रस्तुत की है।
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Specifications
Book Details
Imprint
Redgrab Books Pvt Ltd
Publication Year
2022 APRIL
Number of Pages
296
Contributors
Author Info
उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले में 22 सितंबर, 1979 को जन्मे श्री धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी ने प्रारंभिक शिक्षा राजकीय इंटर कालेज प्रतापगढ़ से प्राप्त की। तत्पश्चात इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से प्रौद्योगिकी स्नातक की परीक्षा स्वर्णपदक के साथ उत्तीर्ण की और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की से अपनी कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर प्रौद्योगिकी परास्नातक की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान में ये एनटीपीसी लिमिटेड की तलाईपाली परियोजना में उप महाप्रबंधक (सिविल) के पद पर कार्यरत हैं। धर्मेन्द्र की कहानियाँ समय-समय पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही हैं एवं राष्ट्रीय पुस्तक न्यास से वर्ष 2016 में प्रकाशित ‘नवलेखन हिन्दी कहानियाँ’ एवं 2019 में प्रकाशित ‘राष्ट्रीय चेतना की कहानियाँ’ नामक संकलनों में संकलित हैं। इनका पहला कहानी संग्रह ‘द हिप्नोटिस्ट’ अंजुमन प्रकाशन से वर्ष 2017 में प्रकाशित हो चुका है। ‘लिखे हैं ख़त तुम्हें’ इनका पहला उपन्यास है।