Main To Thahra Hamaal

Main To Thahra Hamaal  (Hardcover, Appa Korpe Translated by Leela Bandiwadekar)

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Highlights
  • Binding: Hardcover
  • Publisher: Bharatiya Jnanpith-Vani Prakashan
  • Genre: Novel
  • ISBN: 9789355186799
  • Edition: 2nd, 2005
  • Pages: 132
Description
मैं तो ठहरा हमाल - मराठी में प्रतिष्ठित और बहुचर्चित इस औपन्यासिक आत्मकथा का अपना एक अलग रंग और प्रभाव है। दरअसल, 'मैं तो ठहरा हमाल' सही अर्थों में वाचिक परम्परा की गद्य-कृति है। इसमें लेखक—या कहें वाचक—ने अपने अनगढ़ जीवन के सुख-दुःख और बेबसी-बेचारगी के साथ ही समकालीन समय और ग्रामीण समाज के संघर्ष, भोग और बेगानेपन को भी सीधे-सादे तरीक़े से कहने-बताने की कोशिश की है। जीवन जीने के ढंग, उसकी आपाधापी और छटपटाहट, सम्बन्धों को लेकर असमंजस, उल्लास और उत्कण्ठाएँ तथा भयावह नंगी सच्चाइयाँ—इन सब का ताप इस कृति में है। इसमें हर चरित्र, घटना और परिवेश गति में रूपाकार लेती झाँकियों की तरह है—शुष्क, तरल, निर्मल और पारदर्शी! 'मैं तो ठहरा हमाल' में एक ऐसे भावलोक का सृजन है, जहाँ स्वरों के हर चढ़ाव-उतार में ज़िन्दगी के छन्द की अनुगूँज है ....
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Specifications
Book Details
Publication Year
  • 2005
Contributors
Author Info
  • आप्पा कोरपे - आप्पा कोरपे एक प्रसिद्ध मराठी लेखक हैं। अधिक पढ़े-लिखे न होने के बावजूद आप्पा सुसंस्कृत और विवेकी हैं। वे अन्धश्रद्धा से दूर रहते हैं। उनका बचपन ग़रीबी में बीता तथा उनका परिवार केवल अपने पिता की अल्प मज़दूरी पर निर्भर था। अपनी आत्मकथा 'मैं तो ठहरा हमाल' में आप्पा कोरपे ने लिखा है कि कैसे वे महाराष्ट्र राज्य वाहक मापदी निगम के उपाध्यक्ष के पद तक साहस और ईमानदारी के साथ उठे।
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