*‘सूना मकां तन्हा तस्वीरें’*
ढाई आखर प्रेम का। कोई इससे अलग कहता है, यह प्रेम को मारग कराल महा, तलवार की धार पर धावनो है। कोई यह भी कहता है, कबीरा हंसना दूरी करो, करि रोवन सौ चित्त, बिन रोया क्यूं पाइए, प्रेम, पीयारा, मित्त। प्रेम...एक शब्द मात्र! पर इस की व्याप्ति बहुत ही विस्तृत, बहुत ही व्यापक! यह शब्द भले अधूरा है पर इस से पूरा संसार पा लेने को उद्दत प्रेमासक्त इंसां अन्य सारे मोह और आकर्षण के भैतिक व रासायनिक सीमा से परे निकल लेता है। शायद यही प्रेम का अध्यात्म है। तमाम आकुलता, व्याकुलता की थाह लेने की कोशिश भर है *‘ सूना मकां तन्हा तस्वीरें’*
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2024
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