Shairi Ke Naye Mode (Volume-5)
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Shairi Ke Naye Mode (Volume-5)  (Paperback, Ayodhya Prasad Goyaliya)

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Highlights
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Bharatiya Jnanpith -Vani Prakashan
  • Genre: Urdu Poetry
  • ISBN: 9788126300327
  • Edition: 1st, 1999
  • Pages: 224
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VaniPrakashan
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  • Description
    शाइरी के नये मोड़ – 1935 से 1958 तक उर्दू शाइरी ने कई मोड़ लिए हैं। शाइरी के नये मोड़ के पाँच भागों में इसी दौर के प्रतिष्ठित प्रगतिशील और प्रयोगवादी शाइरों के श्रेष्ठ कलाम और परिचय हैं: पहला मोड़ इस भाग में 1946 से मार्च 1958 तक की उर्दू शाइरी की एक झलक, और मशहूर शाइरों की प्रतिनिधि रचनाओं का चयन है। दूसरा मोड़ 1935 से अक्तूबर 1958 तक की उर्दू शाइरी पर नज़र और छह चुनिन्दा शाइरों के कलाम और जीवन परिचय। तीसरा मोड़ उर्दू के दो महान् उर्दू शाइरों: इसरारुलहक़ मजाज़ और फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के श्रेष्ठतम कलाम और जीवन-परिचय। चौथा मोड़ प्रमुख तरक़्क़ीपसन्द शाइरों अली सरदार जाफ़री, जाँ निसार अख़्तर और साहिर लुधियानवी के परिचय और श्रेष्ठ कलाम। पाँचवाँ मोड़ प्रख्यात आधुनिक उर्दू शाइरों: नरेश कुमार 'शाद', वामिक़ जौनपुरी, क़तील शिफ़ाई और मजरूह सुल्तानपुरी के परिचय और कलाम । उर्दू-साहित्य के प्रखर अध्येता और मनस्वी विचारक अयोध्याप्रसाद गोयलीय की इस ऐतिहासिक महत्त्व की पुस्तक का प्रस्तुत है नया संस्करण।
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    Specifications
    Book Details
    Publication Year
    • 1999
    Contributors
    Author Info
    • अयोध्याप्रसाद गोयलीय - जन्म बादशाहपुर, गुड़गाँव, हरियाणा में। प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा कोसी-कलाँ मथुरा (ननिहाल) में। तत्पश्चात चौरासी-मथुरा में उच्च शिक्षा के दौरान न्याय, व्याकरण और काव्य का अध्ययन। 1919 में रौलट-ऐक्ट-आन्दोलन से प्रभावित और विद्यालय परित्याग। 1920 से 1940 तक दिल्ली में निवास और व्यापार, उसी अवधि में उर्दू-साहित्य और इतिहास का गम्भीर अध्ययन। 1930 के नमक सत्याग्रह में भागीदारी के लिए सवा दो वर्ष का 'सी-क्लास' कारावास। 1941 से 1968 तक डालमिया नगर में साहू-जैन-समवाय के श्रम कल्याण अधिकारी रहते हुए उर्दू-शाइरी को हिन्दी में लाने के लिए सतत सक्रिय रहे। 1975 में सहारनपुर (उ.प्र.) में देहावसान। प्रमुख कृतियाँ : शेर-ओ-शाइरी, शेर-ओ-सुख़न (5 भाग), शाइरी के नये दौर (5 भाग), शाइरी के नये मोड़ (5 भाग), नग़्मए-हरम, गहरे पानी पैठ, जिन खोजा तिन पाइयाँ आदि।
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