"आकाशीय ग्रहो में विशेषकर सूर्य, चन्द्र और बृहस्पति एकत्र होकर अमृत की बूंदो की वृष्टि करते है। प्राचीन काल से भारत के साधुओं और साध्वियों ने ऐसे तीर्थ स्थलों का निरंतर भ्रमण कर इस सत्य को प्रतिपादित किया है। समस्त वैभव और सुखो को त्याग कर कंदराओं, गुफाओं, अज्ञात स्थलों, और मठों में रहने वाले साधु-सन्यासी, संत-महात्मा और तपस्वी तीन वर्षो के अंतराल पर सांसारिक बंधनो में जकड़े मानवता रूपी समुद्र के समक्ष होते है। आस्था और विश्वास की कोई सीमा नहीं होती, इसका उदाहरण कुम्भ पर्व पर अंतिम लक्ष्य की खोज में एकत्र हुए लोगो को देखकर मिलता है"
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Specifications
Book Details
Imprint
Pilgrims Publishing
Publication Year
2010
Book Type
Religion & Spiritual
Contributors
Author Info
भारत में जन्मे लेखकद्वय बद्री नारायण एवं केदार नारायण वाराणसी महानगर के निवासी है, जिन्होंने कुम्भ मेले में आने वाले साधु, संतो और उनके द्वारा किये जाने वाले धार्मिक क्रिया कलापो का अध्ययन बड़ी तन्मयता के साथ किया है। कुम्भ पर्व पर अखाड़ों में रहने वाले महात्माओ की जीवन शैली का भी इन्होने वहां उपस्थित रह कर अनुभव किया है| लेखको ने जून अखाड़ों ही शाही शोभायात्रा में संतो के साथ सम्मिलित होकर गंगा तट तक जाने की अनुमति प्राप्त होने पर इसे कलमबद्ध करने के साथ-साथ प्रथम बार कुछ ऐसे दृश्यों के छायाचित्र भी लिए है जो सामान्य जन-मानस के लिए दुर्लभ है। यह पुस्तक भारत की पवित्रतम नदियों के तटों पर रहने वालो साधुओ एवं सन्यासियो की जीवन शैली और कुम्भ पर्व पर पूरी सामग्री उपलब्ध कराने में सक्षम है|
Translation Details
Translated to
Hindi
Audio Book Details
Number of Discs
1
Additional Features
Age Group
10+ years
Dimensions
Width
6 inch
Height
9 inch
Depth
0.39 inch
Weight
395 g
In The Box
1 Book
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