यह पुस्तक डॉ कुंतल गोयल की तीन कहानी संग्रहों का पुनर्प्रकाशन है, जिसमें उन्होंने 60-70 के दशक में पारिवारिक और सामाजिक विषयों पर कहानियाँ लिखीं हैं। इन कहानियों में नारी विमर्श और सामाजिक चेतना मुख्य केंद्र बिंदु रहे हैं. यह कहानी संग्रह वर्तमान की पारिवारिक- सामाजिक स्थितियों का एक तुलनात्मक बिम्ब भी प्रस्तुत करती है जो 60-70 के दशक में विद्यमान थी।
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Specifications
Book Details
Imprint
Blue Rose Publishers
Publication Year
2024 February
Contributors
Author Info
कुंतल गोयल का जन्म बैकुंठपुर (छत्तीसगढ़) 31 दिसंबर 1935 में साहित्यकार श्री बाबूलाल एवं श्रीमती विमला देवी के घर हुआ था। प्रसिद्ध साहित्यकार कांतिकुमार जैन कुंतल गोयल के भाई थे। ऐसे सुदृढ साहित्यिक संस्कारों में पली कुंतल गोयल की अकादमिक उपलब्धियां भी बड़ी रही हैं। वे सरगुजा क्षेत्र की पहली महिला पीएचडी रही हैं।
कुंतल गोयल की साहित्य यात्रा कविता और गीतों से शुरू हुई थी। उनका पहला प्रकाशित काव्य संग्रह 'हमारा घर' 1970 में आया। इसके बाद इन्होंने कहानियां लिखीं जो कल्पना, ज्ञानोदय, साप्ताहिक हिंदुस्तान, धर्मयुग, गल्प भारती, कहानीकार, मंगलदीप, अम्बिका आदि महत्वपूर्ण पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं। उनकी कहानियां उनके कहानी संग्रहों फूलों की गंध' (1968), 'ठहरे हुए अंधेरे' (1976) और 'अनगिनत मोड़ों पर' (1996) में संकलित हैं। कुंतल गोयल ने अपनी इन कहानियों के माध्यम से मध्यमवर्गीय जीवन की चुनौतियों को उसके अपने मनोविज्ञान के साथ रेखांकित किया है। उन्होंने लिखा है, "मेरी कहानियों में किसी एक की छटपटाहट नहीं वरन उस पूरे समाज की छटपटाहट है जहाँ अपने संस्कारों, सभ्यता और मूल मान्यताओं को ढोने के लिए मनुष्य को लाचार होना पड़ता है और जहाँ पारस्परिक टकराहट में मनुष्य की संवेदनशीलता आहत होती है।" संबंधों की आधारभूमि स्नेह और आत्मीयता के होते हुए भी जीवन में परिवर्तित सामाजिक मूल्यों का कितना आक्रामक प्रभाव पड़ता है, यह कुंतल गोयल की इन मध्यमवर्गीय जीवन की कहानियों के चरित्रों में सहज ही देखा जा सकता है।
Dimensions
Width
27 mm
Height
203 mm
Length
127 mm
Weight
472 gr
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