कॉग्रेस ना होती तो क्या होता: बिना किसी सेंसर के आज़ाद भारत का इतिहास
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कॉग्रेस ना होती तो क्या होता: बिना किसी सेंसर के आज़ाद भारत का इतिहास (Paperback, Priyam Gandhi-Mody)

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कॉग्रेस ना होती तो क्या होता: बिना किसी सेंसर के आज़ाद भारत का इतिहास  (Paperback, Priyam Gandhi-Mody)

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Highlights
  • Binding: Paperback
  • Publisher: Rupa Publications India
  • Genre: Political Freedom & Security, Political Structure & Processes
  • ISBN: 9789361560965
  • Edition: 1, 2024
  • Pages: 308
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  • Description
    फरवरी 2022 में, संसद के शीतकालीन सत्र में, प्रधानमंत्री मोदी ने एक प्रश्न सामने रखा, “क्या होता, यदि भारत में काँग्रेस ना होती?” इस सवाल में महात्मा गाँधी के विचार छिपे हुए हैं जो उन्होंने 1948 में शायद अपने आखरी पत्र में लिखे थे। अपनी हत्या से तीन दिन पहले लिखे गए इस पत्र में उन्होंने लिखा कि काँग्रेस की उपयोगिता अब खत्म हो चुकी है और इसको अब भंग कर देना चाहिए। ज़रा सोचिये, अगर कांग्रेस को भंग करने की महात्मा गांधी की बात पर ध्यान दिया गया होता तो आज का भारत कैसा होता? यह किताब पिछले 80 वर्षों के भारत के इतिहास की कुछ ऐसी प्रमुख घटनाओं पर प्रकाश डालती है जिन्होंने भारतीय राजनीति को एक आकार दिया। इनमें प्रमुख हैं भारत का विभाजन, कश्मीर समस्या , शासन का अधिकार, घोटाले,लोकतंत्र और उसमें आने वाले व्यवधान, आर्थिक नीति, बौद्धिक उपनिवेशीकरण और विदेश नीति शामिल हैं। दरअसल भारत के आधुनिक इतिहास के नरेटिव को इस तरह बताया गया है जो कि एक खास राजनीति के अनुकूल हो। लेकिन अब यह जरूरी हो गया है कि अतीत की ग़लतियों से सीखते हुए इतिहास को निष्पक्ष और सही तरीके के साथ दोबारा बताया जाए। आज की पीढ़ी की मांग है और उसको इस बात का हक़ भी है कि पहले की गई ऐतिहासिक ग़लतियों का समाधान किया जाये। आज भारतीयों को अनिर्मित, निष्पक्ष, बग़ैर किसी फ़िल्टर के तमाम ऐतिहासिक रूप से सटीक जानकारी पाने की ज़रूरत है ताकि वे अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए नए भारत के रास्ते पर चल सकें। ये तो सबसे पहले सोचना चाहिए कि अगर कांग्रेस पार्टी ने 80 साल तक देश पर शासन ना किया होता तो आज भारत कि दिशा और दशा कुछ अलग होती। इससे भी ज़्यादा खास बात ये है कि इस किताब में कल के भारत का रोडमैप मौजूद है।
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    Specifications
    Book Details
    Publication Year
    • 2024 MAY
    Number of Pages
    • 308
    Contributors
    Author Info
    • प्रियम गांधी-मोदी एक लेखिका और राजनीतिक संचार विशेषज्ञ हैं। उन्होंने इससे पहले तीन बेस्ट-सेलर नॉन- फिक्शन राजनीतिक किताबें लिखी हैं और यह उनकी चौथी किताब है। प्रियम भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के लिए विभिन्न मुद्दों पर भारतीय दृष्टिकोण को लेकर ओपिनियन पीसेज भी लिखती रहती हैं। वह कई ग्लोबल फोरम यानी वैश्विक मंचों पर नज़र आती हैं, जिन्हें अकादमिक और सरकारी संस्थानों द्वारा कई देशों में होस्ट किया जाता है। वह फ्लोरिडा स्टेट यूनिवर्सिटी और डेलावेयर.यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्रा रह चुकी हैं। मुंबई आने से पहले जहां वह आज अपने परिवार के साथ रहती हैं, वह तल्हासी में राजनीतिक इकोसिस्टम में भी काम कर चुकी हैं।
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