प्रस्तुत पुस्तक की लेखिका रीता गुप्ता, सादगी पूर्ण, सभ्य एवं सुशिक्षित गृह संचालिका हैं।
आपका जन्म बेहद सुसंस्कृत, सुशिक्षित, साहित्यिक एवं कलात्मक अभिरुचि से सम्पन्न परिवार में हुआ, फलस्वरूप आपके बाल-मन में शुरू से ही साहित्य व कला के प्रति रुचि रही। घर में आए दिन होने वाली साहित्यिक- गोष्ठियों के प्रभाव से यह लगाव गहरा होता गया।
प्रारम्भिक शिक्षा में सदैव अव्वल रहने के साथ-साथ काॅलेज में कला,संस्कृत,हिंदी व अंग्रेजी साहित्य जैसे विषयों से बी.ए. तथा मनोविज्ञान विषय से एम.ए.की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। स्कूल व काॅलेज मैगजीन में समय-समय पर लेख, कहानी व कविता लिखने से लेखन-कार्य का आरम्भ हुआ। स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित होती रहीं। हिन्दी- दिवस की प्रतियोगिताओं एवं 'लिप्टन ताजा चाय' द्वारा आयोजित प्रतियोगिता में प्रथम पुरस्कार जीता।विवाहोपरांत भी परिवार के सहयोग व प्रोत्साहन से लेखन-कार्य जारी रहा।
आपके लिए लेखन एक प्रार्थना की तरह है, जो ईश्वर से जुड़ाव, प्रसन्नता व संतोष प्राप्ति में सहायक है, और ये प्रार्थना अनवरत जारी है...