पौराणिक कथाओं में विष्णुभक्त प्रह्लाद की कथा अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। यह कथा अन्याय, अत्याचार एवं अभिमान पर न्याय, सदाचार और स्वाभिमान की जीत की शिक्षा देती है। यह कथा उस समय की है, जब संपूर्ण सृष्टि हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु जैसे असुरों के आतंक से त्रस्त थी। चारों ओर आसुरी शक्तियों की प्रबलता थी। धर्म-कर्म और वेद-यज्ञ आदि की प्रतिष्ठा लगभग निष्प्राण हो चुकी थी। ऐसे विपरीत और गहन धार्मिक संकटकाल में भी प्रह्लाद जैसे भक्त की पावन भक्ति ने श्रीहरि को नरसिंह अवतार धारण करने हेतु प्रेरित किया।
अंततः जब हिरण्यकशिपु के अत्याचारों एवं पापों का घड़ा भर गया तो भगवान् विष्णु ने नरसिंह का अवतार लेकर अत्याचारी हिरण्यकशिपु का अंत कर दिया। प्रस्तत पुस्तक 'भक्त प्रह्लाद' में विष्णुभक्त प्रह्लाद की कथा को बहुत ही सरल, सहज एवं रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया है। भगवद्भक्ति, सत्य व सदाचार, निष्ठा, समर्पण, संकल्प जैसे जीवनमूल्यों का संचार करने वाली प्रेरक पुस्तक ।
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Specifications
Book Details
Publication Year
2025 April
Number of Pages
144
Contributors
Author Info
एम.आई. राजस्वी
'हरियाणा हैरिटेज' में संपादन कार्य किया। दिल्ली के कई प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थानों के लिए वैतनिक एवं स्वतंत्र रूप से संपादन-लेखन कार्य; विभिन्न प्रकाशन संस्थानों से अब तक लगभग 65 पुस्तकें प्रकाशित। देश की सामाजिक समस्याओं पर 10 कहानियाँ एवं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में राजनीतिक-सामाजिक विषयों पर अनेक लेख प्रकाशित ।
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