भारतीय संस्कृति बड़ी समृद्ध है । यह अपने आप में असीम सांस्कृतिक एवं वैज्ञानिक धरोहर को समेटे हुए है। विज्ञान की लगभग सभी शाखाएँ गणित पर ही आधारित हैं । इतिहासकारों ने सिद्ध किया है कि सर्वप्रथम गणित का जन्म भारत में ही हुआ। शून्य, पाई (π) तथा दशमलव प्रणाली भारत ने ही दुनिया कोदी है।
जिस समय पाश्चात्य देश अज्ञान के अंधकार में डूबे थे, उस समय भारत में ज्ञान-विज्ञान का चहुँमुखी विकास हो रहा था। हड़प्पा के निवासी नाप-तौल की अनेक प्रणालियों, स्केल्स आदि का प्रयोग करते थे। शनै:-शने गणित के विकास ने गति पकड़ी और कालांतर में यही ज्ञान भारत से अरब और यूरोपीय देशों में पहुँचा।
प्रस्तुत पुस्तक में भारत के महान् गणिततज्ञों-बोधायन, पाणिनि, कात्यायन, भास्कर, वराहमिहिर, आर्यभट, महेंद्र सूरी, परमेश्वर तथा रामानुजन इत्यादि के जीवन-चरित्र के साथ-साथ उनकी खोजों एवं उपलब्धियों का सांगोपांग वर्णन सीधी-सरल भाषा में किया गया है।
इसके अध्ययन से विद्यार्थी, शोधार्थी, गणितज्ञ, यंत्रविद् ही नहीं, आम जन भी अपनी सांस्कृतिक-वैज्ञानिक थाती से परिचित हो अपना ज्ञानवर्द्धन करेंगे।