9789351864844
आनेवाले 20 वर्षों में भारत दुनिया के विकसित देशों में होगा; लेकिन इसी के साथ चिंता भी होती है कि हमारे पास जब सबकुछ होगा तो कहीं हम परिवार से हाथ न ध्वनिधूपो बैठें। आज टूटन व बिखराव की ध्वनि परिवारों से निकलने लगी है। इसलिए यह आवश्यक है कि हम जानें कि परिवार कैसे बचाए जाएँ। लेखक ने अपनी कथाओं में इसी समस्या पर ध्यान केंद्रित किया है और यह पुस्तक भी इसी भाव को समर्पित है। ‘एक शाम परिवार के नाम’ लेखक का एक व्याख्यान है, जिसे खूब सुना जाता है। इस पुस्तक में उसी व्याख्यान के अंश समाहित हैं। हनुमानजी महाराज परिवार के देवता हैं, अतः जीवन उन्हीं के आसपास बीतता है। लेखक का कहना है कि मैं ‘हनुमान चालीसा’ ओढ़ता हूँ, बिछाता हूँ। परिवार में माधुर्य, पारस्परिकता, प्रेमभाव और एकात्मता जाग्रत् करनेवाली प्रेरक पुस्तक।
9789351861829
मुझे इसमें कोई संदेह नहीं कि मेरी माँ ने ही फेसबुक की कल्पना पहली बार की थी। मार्क जुकरबर्ग तो बहुत बाद में आए फेसबुक के इस संसार को लेकर। मेरी माँ उनसे बहुत पहले से अपने लिए फेसबुक का संसार रच चुकी थी। वो इस दुनिया में बहुत कम समय तक रह पाई, लेकिन जितने भी दिन रही, रिश्ते जोड़ती रही। मैंने उसे कभी किसी से रिश्ते तोड़ते नहीं देखा। कहती थी कि रिश्ते बनाने में चाहे सौ बार सोच लो, लेकिन तोड़ने में तो हजार बार सोचना। माँ कहती थी कि एक दिन वो नहीं रहेगी लेकिन ‘रिश्ते’ रहेंगे। सब एक-दूसरे से जुदा होते चले जाएँगे, लेकिन रिश्तों का कारवाँ सबको एक-दूसरे से जोड़े रहेगा। आदमी आता है चले जाने के लिए, लेकिन रिश्ते जिंदा रहते हैं यादों में, व्यवहार में, मस्तिष्क में। सचमुच, माँ चली गई, फेसबुक पर माँ मिल गई। एक दिन भाई चला गया, फेसबुक पर भाई मिल गया। एक दिन मैं चला जाऊँगा, कोई मुझे फेसबुक पर ढूँढ़ लेगा।.