Devotional Book (Set Of 7 Books)
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Devotional Book (Set Of 7 Books) (Paperback, Hindi, Ramnath Gupta)

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Devotional Book (Set Of 7 Books)  (Paperback, Hindi, Ramnath Gupta)

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Highlights
  • Author: Ramnath Gupta
  • 400 Pages
  • Language: Hindi
  • Publisher: MEERA PRAKASHAN
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  • Description
    गोपियों के साथ भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला में एक मधुर आकर्षण है, जो अत्यंत मोहित करने वाला है, और गोपियों के श्रीकृष्ण के प्रति आत्मसमर्पण को दर्शाता है। यद्यपि यह लीला भौतिक प्रतीत होती है, किन्तु है यह आध्यात्मिक गोपियाँ स्त्री रूप में अवतरित महान तपस्वी थे जिन्हें अपने तप के फलस्वरूप रासलीला के रूप में प्रभु का सान्निध्य प्राप्त हुआ, और वे मोक्ष को प्राप्त हो गए। भागवतपुराण में शुकदेवजी ने इस रास लीला का सुंदर वर्णन किया है। इसके अतिरिक्त ब्रह्मवैवर्तपुराण और श्रीगर्गसंहिता में भी इस लीला का विशद् वर्णन है। इस पुस्तक के लेखन में इन तीनों ग्रंथों से सहायता ली गई है। महर्षि जैमिनी व्यासदेवजी के पाँच प्रधान शिष्यों में से एक थे और सामवेद के आचार्य थे। इन्होंने कई प्रसिद्ध पुस्तके लिखी हैं, जिनमें से एक ‘जैमिनीय महाभारत’ भी है, जो व्यासजी की महाभारत से भिन्न रचना है। वर्तमान में इस पुस्तक का केवल ‘आश्वमेधिक पर्व’ ही उपलब्ध है। इसमें कुछ कथाएँ व्यासजी-रचित ‘महाभारत’ में नहीं हैं। प्रस्तुत पुस्तक में जैमिनी ऋषि की इस पुस्तक का सार प्रस्तुत किया गया है और श्रीकृष्ण-सम्बंधित कुछ घटनाएँ ही दी गई हैं। इसमें भगवान के कुछ भक्तों (सुधन्वा, मयूरध्वज, वीरवर्मा, आदि) की बड़ी ही प्रेरणाप्रद कथाएँ सम्मिलित हैं। पुस्तक में यथासंभव चित्रों का समावेश किया गया है, जिससे पुस्तक अधिक रोचक बन सके।श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को अपनी एक उंगली पर सात दिनों तक लगातार उठाये रखने, गोपों और उनके पशु-धन की रक्षा करने तथा इंद्र का गर्व भंग करने की लीला उनकी अलौकिक शक्ति का एक अंश मात्रा है। यह घटना दर्शाती है कि श्रीकृष्ण ही परम नियंता हैं और उनके द्वारा प्रदत्त अधिकारों से ही देवताओं को उनकी शक्तियाँ प्राप्त हुई हैं, जिनका उपयोग उन्हें जीवों की भलाई हेतु करना है। प्रभु द्वारा इंद्र का दर्प भंग करने की अन्य घटनाएँ भी हैं, जिनमें दो प्रमुख हैं। पहली, जब वे अग्नि की तृप्ति हेतु खांडववन दाह के दौरान दावानल को बुझाने का उसका प्रत्येक प्रयत्न विपफल कर देते हैं दूसरी जब वे अपनी पत्नी सत्यभामा की इच्छापूर्ति हेतु इंद्र को युद्ध में हराकर स्वर्ग से परिजात वृक्ष द्वारका ले आते हैं। भगवान की लीलाएँ अनोखी एवं सरस हैं, जिन्हें बार-बार पढ़ने अथवा सुनने से भी किसी भक्त की तृप्ति नहीं होती और उसकी उनके विषय में अधिक जानने की इच्छा उत्तरोत्तर बढ़ती ही जाती है, जो उसे उनके चरणों तक पहुँचाकर उसके लिए मोक्ष-प्राप्ति का द्वार खोल देती है।श्रीराधा श्रीकृष्ण की शक्ति हैं। राधा के बिना श्रीकृष्ण पूर्ण नहीं हैं यह बात तो वे स्वयं श्रीराधा से कहते हैं। राधा का चरित्र इतना विशाल और रहस्यमय है कि उसे समझना अत्यंत कठिन है। भागवतपुराण में राधा नाम का उल्लेख नहीं है क्योंकि इस पुराण के वाचक शुकदेवजी की वे परम आराध्या और गुरु थीं, अतः वे उनका नाम नहीं ले सकते थे। राधा का विशद विवरण ब्रह्मवैवर्तपुराण, गर्ग संहिता, पद्मपुराण और नारद पंचतंत्र में है। इस पुस्तक के लेखन में इन सब ग्रंथों से सहायता ली गई है।गीता भगवान श्रीकृष्ण का अर्जुन को दिया गया अनमोल उपदेश है, जब वह महाभारत युद्ध के दौरान, अपने क्षत्रिय धर्म को त्याग कर युद्ध करने से विमुख हो रहे थे। श्रीकृष्ण का यह उपदेश मनुष्य को अपना निर्धारित कर्तव्य करने की राह दिखाता है * आत्मा की अमरता और उसकी गति का निरूपण करता है * समाज में मनुष्यों के विविध प्रकार बताता है * भक्तियोग, ज्ञानयोग और कर्मयोग की महिमा की व्याख्या करता है और सफल जीवन जीना सिखाने के साथ ही यह संदेश देता है कि भगवान की शरणागति ही संसार-सागर को पार करने का सर्वोत्तम उपाय है। गीता सम्पूर्ण उपनिषदों का सार है। कहा गया है कि उपनिषद् यदि गाएँ हैं, तो गीता उनका दूध है। गीता का यह उपदेश इतना गूढ़ और सारगर्भित है कि एक साधारण मनुष्य के लिए इसे समझ पाना अत्यंत कठिन है। इस ग्रंथ के दुरूह विषय को सुगम बनाने हेतु भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के मध्य हुए संवाद को लिखा है, अर्थात् वे दोनों जो बातचीत कर रहे हैं, उसे पाठकों को सरल शब्दों में बताया गया है। यह एक नई शैली है, जिससे यह उपदेश सर्वसाधारण द्वारा सरलता से ग्रहण किया जा सकता है और इसे समझने में अधिक कठिनाई अनुभव नहीं होगी। इस उपदेश के दौरान भगवान ने अर्जुन को अपनी जो विभूतियाँ बताई हैं, उनसे सम्बंधित यथासंभव चित्र दिए गए हैं, जिससे वे बोधगम्य बन गई हैं। देवर्षि नारद का चरित्र अति पावन एवं ज्ञानियों का प्रेरणा ड्डोत है। लगभग सभी पुराणों और ग्रंथों में उनका और उनके द्वारा दिए गए उपदेशों का वर्णन है। उनके उपदेश बहुत ही सारगर्भित और शिक्षाप्रद हैं एवं आज भी सब के लिए प्रासंगिक हैं। देवर्षि सभी देवताओं, मनुष्यों, राक्षसों आदि के पूजनीय रहे हैं और सबने उन्हें सम्मान दिया है। वे विष्णु के परमभक्त हैं और सारे संसार में उनका गुणगान करते हुए विचरण करते हैं। नारदजी का प्रत्येक उपदेश भगवान की स्तुति से ओत-प्रोत है और श्रोता को भगवान की भक्ति की ओर प्रेरित करता है। नारदजी को अपने चरित्र का कभी अभिमान नहीं हुआ। भगवान श्रीकृष्ण ने भी उनकी प्रशंसा की है जिसे इस पुस्तक में दिया गया है। नारदपुराण से उनकी ज्योतिष और गणितीय क्षमता के दर्शन होते हैं।‘अनुगीता’ महाभारत के ‘अश्वमेधिक पर्व’ में आती है । यह भी श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया उपदेश है, किन्तु इसकी शैली बिल्कुल ही भिन्न है । इस गीता में उपदेश रूपकों के माध्यम से दिए गए हैं तथा तीन रूपकों में सारा ज्ञान संजो दिया गया है । इस गीता की मुख्य विशेषता अदृश्य कर्मों और ब्रह्म–रूपी अदृश्य जगत का वर्णन है, जो बहुत ही रोचक और ज्ञानवर्धक है । जिन पाठकों ने महाभारत के ‘भीष्मपर्व’ में दी गई मूल गीता को पढ़ा है, उन्हें ‘अनुगीता’ बहुत ही रुचिकर लगेगी । इस गीता पर हिन्दी में पुस्तकों का अभाव है । आशा है, पाठक इस पुस्तक का स्वागत करेंगे ।
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    Specifications
    General
    Book
    • Devotional Book (Set Of 7 Books)
    Author
    • Ramnath Gupta
    Binding
    • Paperback
    Publishing Date
    • 2018
    Publisher
    • MEERA PRAKASHAN
    Edition
    • 2019
    Number of Pages
    • 400
    Language
    • Hindi
    Genre
    • Religion & Spirituality
    Book Subcategory
    • Other Books
    Additional Features
    Key Features
    • Available in Multiple Indian Languages, Includes Fiction, Non-Fiction, Biographies & Spiritual Titles, Ideal for Native Language Readers
    Dimensions
    Depth
    • 2 inch
    Weight
    • 416 g
    Ratings & Reviews
    4.6
    26 Ratings &
    1 Reviews
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    Mind-blowing purchase

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    Flipkart Customer

    Certified Buyer, Bolpur

    Sep, 2021

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