मैं कवि नहीं हूँ। अपनी भावनाओं को पूरी तरह से व्यक्त करने में असमर्थता स्वीकार की तब से मैंने कविता जैसा कुछ लिखना शुरू कर दिया ऐसा मुझे याद है । जीवन को समजते हुए कई अनुभव हुए । कुछ भावनाओं को महसूस तो किया पर दूसरों को समजा नहीं पाया। वह अकथनीय संवेदनाएं कविता के रूप टपकती रही और मैं लिखता गया । भाषा, संरचना, व्याकरण की समझ के बिना लिखी गई ये पंक्तियाँ जितनी काव्य की तरह लगती हैं, मैं उतना ही कवि हूँ । इस रचना को पढ़ने या सुनने वाले भी परिवार या दोस्तों से ज्यादा कोई नहीं हैं। इसी कारण से इस किताब को गोष्ठी कहा हैं । गोष्ठी परिचितों की एक ऐसी बैठक या मंडली हैं जिस मे बेफ़िकर रह कुछ भी कहा जा सकता हैं । गोष्ठी यह भरोसा भी देती हैं की बाते सुनी और समजी जाएगी।
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Specifications
Publication Year
2023
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