लेखन करना मेरा बचपन का सपना था ... जो अब मेरे परिवार के प्रोत्साहन तथा माँ-पापा के आशीष से पूर्ण हुआ... मै अपने लेखन को सीमाओं में नहीं बांध सकती है.. अपने चारों ओर जो देखती हूँ , महसूस करती हूँ , उसे अपने दिल के जज्बात के रूप में पन्नों पर उतारती हूँ ... विषय कोई भी हो ,सीधा और सरल लेखन ही पसन्द करती हूँ...ताकि आप सब के दिलों तक पहुंच सकूं। लेखन में अगर सरल शब्द हैं तो आम जन को आसानी से समझाया जा सकता है कि लेखक क्या कहना चाह रहा है ।
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