जगह जैसी जगह -
कविता लिखने के ढंग अनगिनत है पर जिस तरह की कविता हेमन्त शेष लिखते हैं वह बहुत सारे 'बाहर' की औपचारिक आक्रान्ति न होकर आत्मा के भीतर जाने वाले रास्तों की खोज है, गहरी आत्माकुलता और अर्थगर्भी विकलता को काव्याशयों में बदलने वाली कोशिश। दूसरे समकालीन कवियों से यहाँ उनका कवि अपनी इस वैचारिक मौलिकता के कारण अनूठा है कि जिन पर आमतौर पर हमारा ध्यान ही नहीं जाता वैसी जानी पहचानी चीज़ों और आसपास के रोज़मर्रा दृश्यों में भी वह जीवन के सत्य तलाश लेता है।
इधर की कविता में दुर्भाग्यवश जो बहुतेरे अनुभव अनुपस्थित हैं उन विषयों पर भी लिखने की उनकी इच्छाशक्ति और प्राथमिकता कविचित्त की अदम्य स्वाधीनता का उद्घोष है। कालबोध के बहुत से नये आयाम हेमन्त शेष की काव्य यात्रा में देखे गये हैं और तुरन्त ही ध्यान खींच सकने वाला उनका यह मूलतः दार्शनिक भावबोध कालचेतना के आधुनिक आशयों का कुछ ऐसा रससिक्त-सन्धान है जहाँ प्रकृति के कई रंग हैं; प्रतीक्षा, विनोद, विरह और प्रेम की कई छटाएँ हैं; निधन, उदासी, हर्ष, विषाद, करुणा, खेद, उल्लास के स्वर हैं : जो कविता के लिए निहायत मौलिक जगह उत्पन्न कर पाने के उपक्रम के रूप में देखे सुने गुने जा सकते हैं।
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Specifications
Book Details
Publication Year
2016
Contributors
Author Info
हेमन्त शेष -
जन्म: 28 दिसम्बर, 1952; जयपुर (राजस्थान)।
शिक्षा: राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से समाजशास्त्र में 1976 में स्नातकोत्तर उपाधि। व्यापक लेखन और प्रकाशन। कुछ रचनाएँ भारतीय और विदेशी भाषाओं में अनूदित, चर्चित एवं प्रकाशित। कुछ पुरस्कार चित्रों की एकल-प्रदर्शनियाँ। साहित्य और कला-विचार पर एकाग्र त्रैमासिक द्विभाषी पत्रिका 'कला प्रयोजन' का 1995 से नियमित सम्पादन। 1977 से प्रशासनिक सेवा में कार्यरत।
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