Janakalyan Ki Yatra : Shivraj Singh Chouhan (Vidhansabha Mein Diye Mere Bhashan (Set of Volumes 1, 2 & 3)

Janakalyan Ki Yatra : Shivraj Singh Chouhan (Vidhansabha Mein Diye Mere Bhashan (Set of Volumes 1, 2 & 3) (Hardcover, Shivraj Singh Chouhan, Girija Shankar)

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Janakalyan Ki Yatra : Shivraj Singh Chouhan (Vidhansabha Mein Diye Mere Bhashan (Set of Volumes 1, 2 & 3)  (Hardcover, Shivraj Singh Chouhan, Girija Shankar)

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    Highlights
    • Binding: Hardcover
    • Publisher: Prabhat Prakashan Pvt. Ltd.
    • ISBN: 9789395386531
    • Edition: 1st, 2022
    • Pages: 940
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  • Description
    शिवराज सिंह चौहान 5 अप्रैल, 1959 को मध्यमवर्गीय परिवार में जन्म श्री शिवराज सिंह चौहान अपनी सादगी, सहजता और कर्मठता के लिए राजनीति में अलग पहचान रखते हैं। उन्हें विरासत में राजनीति नहीं मिली। दर्शनशास्त्र में स्वर्ण पदक के साथ स्नातकोत्तर की शिक्षा पानेवाले शिवराज को आपातकाल का विरोध करने के कारण स्कूली जीवन में ही जेलयात्रा करनी पड़ी। अपने आरंभिक राजनीतिक काल में ही वे एक कुशल वक्ता के रूप में स्थापित हो गए थे।उनकी यह विशेषता उनके भाषणों में देखी जा सकती है। विद्यार्थी काल से सार्वजनिक जीवन में सक्रिय रहनेवाले शिवराज ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपनी यात्रा आरंभ करते हुए भारतीय जनता युवा मोर्चा में प्रदेश व राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व प्रदान किया। 1990 में पहली बार बुधनी विधानसभा से भारतीय जनता पार्टी से विधायक निर्वाचित हुए और अगले ही वर्ष विदिशा लोकसभा से उपचुनाव लड़कर सांसद चुने गए। उसके बाद 1996, 1998, 1999 व 2004 में लगातार सांसद निर्वाचित हुए। 2005 में पार्टी ने उन्हें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी। वे मध्यप्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहनेवाले राजनीतिज्ञ हैं। शुरुआती राजनीतिक जीवन में पैदल यात्रा करने के कारण वे पाँव-पाँववाले भैया' कहलाए तो मुख्यमंत्री के रूप में जन कल्याणकारी कार्यक्रमों के चलते प्रदेश की जनता ने उन्हें अपना “मामा' मान लिया सांसद रहते हुए 2003 के विधानसभा चुनाव को छोड़कर कभी भी चुनावी पराजय का सामना नहीं करना पड़ा। मध्य प्रदेश विधानसभा में दिए गए अपने भाषणों में उन्होंने सदन की गरिमा और मर्यादा को हमेशा बनाए रखा। विरोधियों पर कटाक्ष और तर्कपूर्ण हमलों के साथ ही उनके प्रति आदरभाव में कभी कोई कमी नहीं आने दी। उन्होंने प्रदेश के विविध पहलूओं के अलावा समसामयिक विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए, जिनमें विकास की उनकी दृष्टि व अवधारणा समाहित रहती है तो सामाजिक मुद्दों पर उनका दृष्टिकोण व सोच उजागर होती है।
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    Specifications
    Book Details
    Publication Year
    • 2022 December
    Number of Pages
    • 940
    Contributors
    Author Info
    • गिरिजाशंकर गिरिजाशंकर विगत लगभग आधी सदी से पत्रकारिता कर रहे हैं। उन्होंने अनेक सामाजिक, राजनीतिक व सांस्कृतिक घटनाओं की जीवंत रिपोर्टिंग की है तो दूसरी ओर समसामयिक विषयों पर वे लगातार लिखते, बोलते रहे हैं। 24 साल की उम्र में उन्होंने फाँसी यानी मृत्युदंड दिए जाने की घटना की लाइव रिपोर्टिंग की है। बाद में इसी घटना पर “आँखों देखी फाँसी' नाम से उनकी पुस्तक प्रकाशित हुई। बस्तर के आदिवासियों की जिंदगी पर लिखे उनके रिपोर्ताज पर सन्‌ 1980 में उन्हें स्टेट्समैन का राष्ट्रीय ग्रामीण पत्रकारिता पुरस्कार मिला। इसके साथ ही अनेक पुरस्कार एवं सम्मान से सम्मानित। विकास और राजकाज के साथ राजनीति, चुनाव और रंगमंच उनके लेखन के केंद्र में रहा है। मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ की समकालीन राजनीति व चुनाव पर उनकी तीन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके लेखों व रिपोर्ताज के संकलन पर दो पुस्तकें प्रकाशनाधीन हैं | उनके द्वारा आम चुनाव विशेषकर छत्तीसगढ़ तथा मध्यप्रदेश के चुनावों का अखबारों व टी.वी. चैनलों पर विश्लेषण निरंतर जारी है। उनके संपादन में प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. श्री कैलाश जोशी द्वारा मध्यप्रदेश विधानसभा में दिए गए भाषणों का संकलन “अध्यक्ष महोदय' का प्रकाशन। उनके द्वारा संपादित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के विधानसभा में दिए गए भाषणों का संकलन इस पुस्तक में प्रस्तुत है। देशभर के हिंदी रंगमंच की गतिविधियों पर “नया इंडिया' अखबार में विगत 6 वर्षों से प्रति सप्ताह नियमित स्तंभ लेखन। इन आलेखों के संकलन की पुस्तक भी प्रकाशनाधीन है। राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित भारत रंग महोत्सव की जूरी में शामिल रहे। संगीत नाटक अकादेमी में मध्यप्रदेश शासन द्वारा नामांकित सदस्य । दो दशक तक ' देशबंधु ' समाचार-पत्र में विभिन्‍न पदों पर काम करते हुए 1993 से अब तक स्वतंत्र पत्रकार की भूमिका में पत्रकारिता।
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