Kaala Naag
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Kaala Naag (Hardcover, Mahinder Singh Sarna)

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Kaala Naag  (Hardcover, Mahinder Singh Sarna)

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Highlights
  • Binding: Hardcover
  • Publisher: Bharatiya Jnanpith-Vani Prakashan
  • Genre: Short Stories
  • ISBN: 9789355187185
  • Edition: 1st, 1989
  • Pages: 136
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VaniPrakashan
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  • Description
    काला नाग - पंजाबी कहानीकारों में जिनका नाम प्रमुखता से लिया जाता है उनमें महिंदर सिंह सरना एक हैं। एक समीक्षक के अनुसार, "सशक्त अभिव्यक्ति और निजी शैली इस लेखक की अपनी विशेषता है।" सरना ने रूप और वस्तु दोनों ही पक्षों से कहानी को नया आयाम देकर पंजाबी साहित्य की श्रीवृद्धि की है। अपनी देखी-भोगी ज़िन्दगी से लेखक की चेतना सहज में, अनायास ही, कुछ ऐसे विषय चुन लेती है जिनमें व्यंग्य या कटाक्ष के लिए काफ़ी गुंजाइश होती है। और फिर वह व्यंग्य कहानी का आकार ग्रहण कर बहुत ही और असरदार बन जाता है। लोप होते हुए मानवीय मूल्यों, सामाजिक अन्याय, आर्थिक शोषण, भ्रष्टाचार आदि पर सरना की लेखनी अचानक ही बहुत पैनी हो जाती है, जहाँ लगता है कि विद्रोह की लौ अब भड़की तब भड़की। लेकिन कहानी के तल में उनकी मनोवैज्ञानिक सूझ और संयम इस तरह पैठे होते हैं कि वह लौ विनाशकारी न होकर अँधेरे में भटके व्यक्ति और समाज का मार्गदर्शन करनेवाली दीपशिखा बन जाती है। सरना की कहानियों में कला के साथ-साथ 'कहानी', जो आजकल आधुनिकता की आड़ में कम होती जा रही है, प्रचुर मात्रा में है। हिन्दी पाठकों को सरना का यह संग्रह भेंट करते हुए ज्ञानपीठ को हर्ष का अनुभव हो रहा है।
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    Specifications
    Book Details
    Publication Year
    • 1989
    Contributors
    Author Info
    • महिंदर सिंह सरना - जन्म: 25 सितम्बर, 1923, रावलपिण्डी (पाकिस्तान) में। देश-विभाजन के समय भारत-आगमन। दिल्ली में अकाउंटेंट जनरल के पद पर कार्य करते हुए 1981 में सेवानिवृत्त। कृतियाँ: पहला कहानी-संग्रह 'पत्थर दा आदमी' 1949 में प्रकाशित। अब तक चार उपन्यास, नौ कहानी-संग्रह तथा चार काव्य-ग्रन्थ प्रकाशित; जिनमें 'वंजली ते विकलनी', 'सुपनया दी सीमा', 'कलिंगा' (कहानी-संग्रह), 'पीड़ा मले राह' (उपन्यास) और 'चमकौर' एवं 'साका जिन किया' (महाकाव्य) प्रमुख हैं। अनेक रचनाएँ हिन्दी, उर्दू, गुजराती, तमिल, मलयालम, अंग्रेज़ी एवं पोलिश में अनूदित। पुरस्कार-सम्मान: कहानी-संग्रह 'कलिंगा' पंजाब सरकार के भाषा विभाग तथा 'वंजली ते विकलनी' पंजाब साहित्य समीख्या बोर्ड द्वारा सम्मानित एवं पुरस्कृत 'चमकौर' के लिए हरियाणा सरकार द्वारा भाई संतोषसिंह पुरस्कार एवं 'साका जिन किया' के लिए पंजाब सरकार का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार। पंजाबी साहित्य में सम्पूर्ण योगदान के लिए 1981 में साहित्य कला परिषद्, दिल्ली द्वारा और 1982 में सेवा सिफ़्ती अन्तर्राष्ट्रीय द्वारा विशेष रूप से सम्मानित।
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