हरित ऋषि के शिष्य और महादेव के परमभक्त कालभोज ने ब्राह्मणावाद में हिन्द की संयुक्त सेना और अरबियों के मध्य हुए युद्ध में ऐसे शौर्य का प्रदर्शन किया कि उसकी गूँज बगदाद की राजधानी ईराक तक पहुँची | विजय के उपरांत सिंधु नरेश राय दाहिरसेन ने ईराक के सुल्तान अलहजाज और खलीफा अल वालिद बिन अब्दुल मलिक को आलोर समेत अपने राज्य के हर नगर से सैनिक चौकियाँ हटाने की चेतावनी दी | इस अपमान के प्रतिशोध और सिंध को जीतने के लिए हजाज ने अपने सबसे योग्य हाकिम मुहम्मद बिन कासिम को चुना | इधर कालभोज ब्राह्मणावाद के युद्ध के उपरांत मेवाड़ के नागदा ग्राम में लौटा तो साबरमती के जल में दिखते प्रतिबिम्बों और उससे जुड़े स्मृतियों ने उसके हृदय के घाव पुनः हरे कर दिये | बिछड़े हुए कुछ अपने मिले तो जीवन के अनेकों प्रश्न सामने आकर खड़े हो गये | कभी मित्रवत दिखायी पड़ने वाले सहचर संदेह के घेरे में आ खड़े हुए | जीवनलक्ष्य की ज्योति संशय के अंधकार में मंद पड़नी आरंभ हो गयी | वहीं मुहम्मद बिन कासिम, सिंध पर विजय प्राप्त करने की योजना बनाते हुए धीरे-धीरे अपने लोगों और सिंध विद्रोहियों के साथ मिलकर उस राज्य को दीमक की तरह चाटना आरम्भ कर चुका था | दूसरी ओर जब कालभोज का परिचय अपने जीवन के उस अवांछित यथार्थ से हुआ तो उसे ऐसा भान हुआ मानों वो सम्पूर्ण जीवन एक मृगतृष्णा को सत्य समझकर जीता रहा | किन्तु अब उसके नेत्रों पर छाया संशय का अंधकार छँट चुका था और कालभोजादित्य रावल को भलीभाँति ज्ञात था कि उसकी तलवार कौन से पक्ष का चुनाव करेगी |
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Specifications
Book Details
Imprint
Redgrab Books Pvt Ltd
Publication Year
2022 SETPETBER
Number of Pages
321
Contributors
Author Info
Utkarsh Srivastava is a marine engineering graduate from the DMET Kolkata campus. He started his writing career as the author of Rankshetram, translated 30+Hollywood series and shows into Hindi (majorly Netflix and prime), working with story circus (almost three years). It all began when he read ‘Mrityunjay’ by Shivaji Sawant. And that was the beginning of his fascination with mythological and historical characters, which led him to be where he is now. And this fascination is still going on with a new story after Rankshetram. The tale of one of the forgotten legends, the disciple of Harith Rishi of Ikshavaku vansh, a descendent of Lord Rama, a great King who once united the army of Hind against the foreign threat. Maharana Kalbhojaditya Rawal aka Bappa Rawal.