कबीर की रचनाओं और जीवन की आलोचना करने पर स्पष्ट दिखाई पड़ता है कि उन्होंने भारतवर्ष की समस्त बाह्य कुरीतियों को भेदकर उसके अन्तर की श्रेष्ठ सामग्री को ही भारतवर्ष की सत्य-साधना के रूप में उपलब्ध किया था; इसलिए उनके पन्थी को भारतपन्थी कहा गया है। विपुल विक्षिप्तता और असंलग्नता के मध्य भारत किस निभृत सत्य में प्रतिष्ठित है, ध्यानयोग के द्वारा इसे वे सुस्पष्ट रूप से देख पाये थे ।
-रवीन्द्रनाथ ठाकुर
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Specifications
Book Details
Publication Year
2024
Contributors
Author Info
क्षितिमोहन सेन -
(1880-1960)
भक्ति-साहित्य के ममर्श आचार्य । मूलतः पूर्व बंगाल के | जन्म एवं शिक्षा-दीक्षा काशी में । 1908 में शान्तिनिकेतन आगमन । विश्वभारती के कार्यवाहक कुलपति एवं विद्याभवन (मानविकी संकाय) के अध्यक्ष । कबीर (चार खण्ड) के अतिरिक्त अन्य
प्रमुख ग्रन्थ : मध्ययुगेर साधनार धारा, दादू, हिन्दू-मुसलमानेर युक्त साधना, बांग्लार बाउल, जातिभेद एवं Mediaval Mysticism of India तथा Mysticism आदि ।
★★★
रामेश्वर मिश्र -
जन्म (1953) एवं शिक्षा-दीक्षा पश्चिम बंगाल के रानीगंज में । मूलतः बिहार के गोपालगंज से । विश्वभारती, शान्तिनिकेतन में हिन्दी के प्रोफ़ेसर एवं अध्यक्ष, भाषा-भवन के संकायाध्यक्ष, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय समन्वय केन्द्र के निदेशक, संकटापन्न भारतीय भाषा केन्द्र के अध्यक्ष तथा 'विश्वभारती' पत्रिका के सम्पादक रहे हैं ।
प्रमुख ग्रन्थ : मध्ययुगीन हिन्दी सन्त साहित्य और रवीन्द्रनाथ (शोध); गीतांजलि (अनुवाद); शान्तिनिकेतन का हिन्दी-भवन (सम्पादन), रवीन्द्र रचनावली : कविता-खण्ड, भाग 1, 2, 3 (सम्पादन) एवं बाउल कवि लालन शाह : साधना और साहित्य (सम्पादन) ।