Karma Hi Dharma Hai

Karma Hi Dharma Hai  (Hindi, Paperback, Nath Ravindra)

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    Highlights
    • Language: Hindi
    • Binding: Paperback
    • Publisher: Prabhat Prakashan
    • Genre: Health & Fitness
    • ISBN: 9789355212078
    • Edition: 1st, 2022
    • Pages: 152
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  • Description
    जीवन का औचित्य ही है-अपना और दूसरों का कल्याण करना, खुद के सपनों को साकार करना, जरूरतमंदों के काम आना | अतः कर्म करें और कर्म से भागें नहीं | कर्म ही धर्म है | धर्म का अर्थ ही है-जो धारण करने योग्य हो और जिसे धारण करने से मानव तथा अन्य प्राणियों का कल्याण हो | अतः कर्म करने के पूर्व सोचें-समझें, विचोरें, तदुपरांत कर्म करें, ताकि किसी को हानि न पहुँचे | कर्म ही पूजा है, और पूजा का अर्थ है-अपने कर्तव्य के प्रति पूरी आस्था, निष्ठा एवं समर्पण का भाव रखना | कर्म हमारी पहचान है और कर्म ही हमें महान्‌ बनाता है । एक चेतनशील प्राणी होने के नाते यह महत्त्वपूर्ण है कि हम क्या करें? और “क्या नहीं करें? को पहले सुनिश्चित करें | मनुष्य के जीवन में सुख-दुःख, लाभ-हानि, जय-पराजय, सफलता-विफलता, पाप-प्रुण्य आदि का निर्धारण कर्म के आधार पर होता है। अतः फल-प्राप्ति की नहीं, कर्म की चिंता करें | कर्म करना आपके वश में है, परंतु फल आपके हाथ में नहीं है | कहने का आशय स्पष्ट है कि हम जैसा कर्म करते हैं और जिस नीयत से करते हैं, उसका प्रभाव उसी रूप में हमारे तन, मन और वाणी पर पड़ता है। प्रस्तुत पुस्तक में सुखी एवं दीर्घायु जीवन जीने के 90 सीक्रेट्स दिए गए हैं, जिनको अपनाकर पाठक अपने जीवन को सफल और सुखी बना सकते हैं |
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    Specifications
    Dimensions
    Width
    • 9 mm
    Height
    • 216 mm
    Length
    • 140 mm
    Depth
    • 1
    Weight
    • 204 gr
    In The Box
    • 1 Book
    Book Details
    Title
    • Karma Hi Dharma Hai
    Imprint
    • Prabhat Prakashan
    Publication Year
    • 2022 August
    Book Type
    • General Book
    Number of Pages
    • 152
    Product Form
    • Paperback
    Publisher
    • Prabhat Prakashan
    Genre
    • Health & Fitness
    ISBN13
    • 9789355212078
    Book Category
    • Healthy Living and Wellness Books
    BISAC Subject Heading
    • HEA000000
    Book Subcategory
    • Family and Wellness Books
    Edition
    • 1st
    Language
    • Hindi
    Contributors
    Author Info
    • रवींद्र नाथ प्रसाद सिंह — पिताश्री : स्व. ब्रह्मदेव प्रसाद सिंह जन्म : मुसहरिया, कुंडवा चैनपुर, पूर्वी चंपारण (बिहार) शिक्षा : स्नातकोत्तर विज्ञान (बी.यू.), स्नातक पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान (पी.यू.) प्रकाशित कृतियाँ : ' आप भी सफल हो सकते हैं', (सफलता के 5 सूत्र', जिंदगी एक अवसर : जिंदगी एक कला', 'क्या खोया, क्‍या पाया ?', 'जीवन को बेहतर कैसे बनाएँ', 'सोच को बदलें ', 'व्यक्तित्व निर्माण', 'जीवन एक दर्पण ', 'जीवन का पैरामीटर ', “जीवन अनमोल है ', 'शिक्षा का अर्थ ' एवं 'उद्देश्य एवं औचित्य '। प्रकाश्य : (बिहार का विकास एक : संदर्भ कर्म-मूल्य ', ' खुद को मोटिवेट करें ', “जीवन दर्शन । अभिरुचि : लेखन एवं समाज सेवा आदर्श : पिताश्री संप्रति : अपर समाहर्ता सह अपर जिला दंडाधिकारी, मधेपुरा | दूरभाष : 7488626302
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