Kevalajnan Prashna Choodamani
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Kevalajnan Prashna Choodamani  (Hindi, Hardcover, Shastri Nemichandra)

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Highlights
  • Language: Hindi
  • Binding: Hardcover
  • Publisher: Vani Prakashan
  • Genre: Body, Mind & Spirit
  • ISBN: 9789326350952
  • Edition: 13th, 2012
  • Pages: 222
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VaniPrakashan
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  • Description
    केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि - 'केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि' – अर्थात् किसी भी फूल, फल, देवता, नदी या पहाड़ का नाम लो और मनचाही बात बूझो। जीवन-मरण, लाभ-हानि, संयोग-वियोग, सुख-दुःख, चोरी गयी वस्तु का पता, परदेशी के लौटने का समय, पुत्र या कन्या प्राप्ति, मुक़दमा जीतने-हारने की बात—जो कुछ भी चाहें पूछें और उत्तर अपने आप प्राप्त करें। 'केवलज्ञानप्रश्नचूडामणि' प्रश्नशास्त्र का एक लघुकाय किन्तु महत्त्वपूर्ण और चमत्कारी ग्रन्थ है। प्रश्नशास्त्र फलित ज्योतिष का अंग जाना जाता है। इसमें प्रश्नकर्ता के प्रश्नानुसार बिना जन्मकुण्डली के फल बताया जाता है। ज्योतिषशास्त्र में प्रश्नों के उत्तर तीन प्रकार से दिये जाते हैं प्रश्नकाल को जानकर, स्वर के आधार पर, प्रश्नाक्षरों के आधार पर इन तीनों सिद्धान्तों में अन्तिम सिद्धान्त अधिक मनोवैज्ञानिक एवं प्रामाणिक है। प्रस्तुत कृति में इसी सिद्धान्त का अत्यन्त सरल एवं विशद विवेचन है। प्रश्नकर्ता के प्रश्नानुसार अक्षरों से अथवा पाँच वर्गों के अक्षर स्थापित करके इनका स्पर्श कराकर प्रश्नों का फल किस प्रकार ज्ञात किया जाता है, इसका विवेचन किया गया है। विद्वान् सम्पादक ने विस्तृत प्रस्तावना तथा विभिन्न परिशिष्टों द्वारा ग्रन्थ को और अधिक उपयोगी बना दिया है। प्रस्तुत कृति का यह नवीन संस्करण इस बात का प्रत्यक्ष प्रमाण है कि पाठकों के लिए यह पुस्तक बहुत उपयोगी सिद्ध हुई है।
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    Specifications
    Book Details
    Imprint
    • Vani Prakashan
    Publication Year
    • 2012
    Contributors
    Author Info
    • डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री, ज्योतिषाचार्य - (सन् 1622-1674) - जन्म स्थान: बसईधियाराम, पो. राजाखेड़ा; धौलपुर (राजस्थान)। शिक्षा: सिद्धान्तशास्त्री, न्यायतीर्थ, काव्यतीर्थ, ज्योतिषतीर्थ, ज्योतिषाचार्य, साहित्यरत्न, एम.ए. (हिन्दी, संस्कृत, प्राकृत ऐंड जैनोलॉजी), पीएच.डी., डी.लिट्.। ग्रन्थ: संस्कृत काव्य के विकास में जैन कवियों का योगदान, हिन्दी जैन साहित्य परिशीलन (दो भाग), मंगलमन्त्र णमोकार एक अनुचिन्तन, आदिपुराण में प्रतिपादित भारत, पुराने घाट नयी सीढ़ियाँ, अभिनव प्राकृत व्याकरण, प्राकृत भाषा और साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास, तीर्थंकर महावीर और उनकी आचार्य परम्परा (४ खण्ड)। सम्पादित और अनूदित: अलंकारचिन्तामणि, केवलज्ञान प्रश्नचूडामणि, व्रततिथि-निर्णय, भद्रबाहु-संहिता, लोक-विजय यन्त्र, रिट्ठ-समुच्चय, मुहूर्तदर्पण, प्राकृत-प्रबोध, गुरु गोपालदास वरैया स्मृति ग्रन्थ। पत्र-सम्पादन: जैन सिद्धान्त भास्कर, जैन एंटिक्वेरी, मागधम्, परिवेशन।
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