क्रमशः -
हिन्दी की जिन कथा-लेखिकाओं ने पिछले कुछ वर्षों में कथ्य, भाषा और शिल्प के स्तर पर अपनी पहचान बनायी है, उनमें कमल कुमार प्रमुख हैं। और इसका हैं एक बड़ा कारण है उनकी सजग बहुआयामी जीवन-दृष्टि तथा अपने परिवेश को रचनात्मक अभिव्यक्ति देने के प्रति गतिमान प्रतिबद्धता।
डॉ. कमल कुमार के इस नवीनतम कहानी-संग्रह ‘क्रमशः' की कहानियाँ समय की संवेदना को सम्पूर्णता में समझते हुए अपने विस्तृत होते अनुभवों के अनेक नये स्तरों को वैचारिक सामर्थ्य के साथ खोलती हैं। वास्तव में जटिल सामाजिक यथार्थ तथा युग-संघर्षों उपजी विसंगतियों को उजागर करने के साथ ही इस संग्रह की कहानियाँ मनुष्य के अन्तर्वैयक्तिक सम्बन्धों की अन्दरूनी त्रासदी और उसकी गहन करुणा को भी पूरी ईमानदारी और समझदारी के साथ अभिव्यक्त करती हैं। कहा जा सकता है कि कमल कुमार की ये कहानियाँ सुधी पाठकों द्वारा अवश्य ही पढ़ी और सराही जायेंगी।
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Specifications
Book Details
Publication Year
1996
Contributors
Author Info
डॉ. (श्रीमती) कमल कुमार -
जन्म: अम्बाला (हरियाणा) में।
पंजाब विश्वविद्यालय से एम.ए. और एम.लिट्., पीएच.डी. दिल्ली विश्वविद्यालय से।
प्रकाशित रचनाएँ: 'अपार्थ', 'आवर्तन', 'हैमबर्गर' (उपन्यास); 'पहचान', 'अपना शहर' (कहानी-संग्रह); 'बयान', 'गवाह', 'साक्षी हैं हम' (काव्य-संग्रह); 'नयी कविता की भूमिका और परम्परा', 'अज्ञेय की काव्य-संवेदना', 'शान्तिप्रिय द्विवेदी' (आलोचना); तथा 'नारी मुक्ति की पुरोधा'।
अनेक बार विदेश यात्राएँ की हैं। साहित्यिक और नारी संस्थाओं से भी सम्बद्ध हैं। तैलचित्र बनाने में विशेष रुचि।
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