दो पाटन के बीच जैसे दिन-रात के दो पाटों के बीच काल की चक्की चल रही है और सबको निरपेक्ष भाव से पीसती चली जा रही है वैसे ही मंचों और मीडिया पर दिखाई नहीं देने वाले लोक की चक्की भी निरंतर चलती रहती है और सबका मूल्यांकन करती रहती है। इस चक्की से पिस-छनकर अपने समय का जो मूल्यांकन हुआ है वह इन लघु व्यंग्य आलेखों में आपको अर्पित है। आप जो न किसी के भाड़े के चारण हैं और न अकारण किसी के शत्रु।
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Specifications
Book
Kudak Murgiyon Ka Loktantra Ramesh Joshi
Author
Ramesh Joshi
Binding
Paperback
Publishing Date
2017
Publisher
ANUUGYA BOOKS
Edition
1
Number of Pages
160
Language
Hindi
Manufacturing, Packaging and Import Info
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