25 अक्टूबर, 1943 को वाराणसी में जन्मीं और काशी विश्वविद्यालय में पीएच.डी. तक की शिक्षा पूर्ण करने वाली सूर्यबाला समकालीन कथा-लेखन में एक विशिष्ट और अलग अन्दाज के साथ उपस्थित हैं। यह अन्दाज मर्मज्ञ पाठकों के साथ उनकी आत्मीयता का है। जो दशक-दर-दशक निरन्तर प्रगाढ़ होती गयी है।
धर्मयुग में धारावाहिक प्रकाशित होने वाला उनका पहला उपन्यास मेरे सन्धिपत्र आज भी पाठकों की चहेती कृति है तथा अब तक का अन्तिम उपन्यास कौन देस को वासी.... वेणु की डायरी अनवरत पाठकों की सराहना अर्जित कर रहा है। अपने छ: उपन्यास, ग्यारह कथा-संग्रह, चार व्यंग्य-संग्रह, तथा अलविदा अन्ना जैसी स्मृति-कथा और झगड़ा निपटारक दफ्तर शीर्षक बालहास्य उपन्यास की लेखिका सूर्यबाला, तमाम साहित्यिक उठापटको, विमर्शी घमासानों और बाज़ार की माँगों से निर्लिप्त रहकर चुपचाप लिखने वाली रचनाकार हैं।
Dimensions
Height
220 mm
Length
140 mm
Weight
200 gr
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