ख़यालों को मन ही मन यूँ घुटने ना दो,
जज़्बातों को दिलों में यूँ टूटने ना दो,
इनका मिज़ाज ही है बयान होना,
इन्हें यूँ ही अंधेरों में गुमने ना दो।
' नज़्में एक ज़रिया', इस ही ख़याल को बढ़ावा देते हुए लिखी गई है।
ज़िंदगी हमे हर रोज़ छोटेबड़े किस्से कहानियों से, अच्छेबुरे अनुभव से रूबरू करवाती है।
हमारे भीतर के दो किरदार, ख़याल और जज़्बात, इनके जुगलबंदी से मन में कई भाव निर्माण होते हैं।
इन्हीं की छानबीन करते हुए इस किताब का जन्म हुआ।
कवयित्री अपने अस्तित्व को खोजते हुए निकली और ये कविताएँ उस ही की अभिव्यक्ती हैं।
ये ख़यालों का सफ़र और जज़्बातों का सिलसिला, जारी रहेगा।
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Specifications
Book Details
Publication Year
2022 AUGUST
Number of Pages
43
Contributors
Author Info
मंज़िल की फिक्र ना कर सफ़र का लुफ़्त उठाना चाहती है,
पिंजरे से मुक्त हुए किसी पंछी की तरह अपने ख़यालों को आज़ाद करना चाहती है।
ज़िंदगी के कुछ उतारचढ़ाव के बाद जब खुदको खोजने निकली, निधी देशमुख, तो उन्होंने शब्दों की रचना में अपने आप को पाया
और फिर जीवन में उनके जो एक ठहराव आया,
उस नई पहचान को उन्होंने
अपनी इस पहली किताब द्वारा मुकम्मल बनाया।
Instagram id: @strokesandcommas
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8
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