Nirupama

Nirupama (Hardcover, Suryakant Tripathi 'Nirala')

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    Highlights
    • Binding: Hardcover
    • Publisher: Vani Prakashan
    • Genre: Novel
    • ISBN: 9789357757614
    • Edition: 1st, 2024
    • Pages: 132
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  • Description
    कुमार के पास बहुत-से आदमी आये और आते रहे। भीड़ लगती-बढ़ती रही । लोगों में उत्सुकता, आनन्द, सहानुभूति फैली। वह बादामी और काली पॉलिश की दो डिबिया और एक ब्रश लिए बैठा था। कई जोड़े पॉलिश करने को मिले। सबसे एक-ही-एक पैसा उसने लिया। उसकी भलमनसाहत का यह दूसरा प्रमाण था। शहर में सनसनी फैल चली। चमार इधर-उधर जो थे, चौकन्ने हुए; वे दो पैसे से कम नहीं और एक आने तक पॉलिश कराई लेते थे । -इसी पुस्तक से
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    Specifications
    Book Details
    Publication Year
    • 2024
    Contributors
    Author Info
    • सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' - सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (21 फ़रवरी 1896-15 अक्टूबर 1961) का नाम मूलतः छायावाद से जोड़ा जाता है, किन्तु उनके कृतित्व और व्यक्तित्व ने समूची सदी के साहित्य परिदृश्य को प्रभावित किया है। बंगाल के महिषादल में उनका जन्म हुआ और अवध प्रदेश के बैसवाड़ा अंचल में उनके जीवन का अधिकांश समय बीता। उनके कृतित्व में इन दोनों साहित्य-संस्कृतियों के गहरे रंग उभरकर सामने आते हैं। एक ओर उन पर तुलसीदास का गहरा रंग है, तो दूसरी ओर रामकृष्ण परमहंस, विवेकानन्द और रवीन्द्रनाथ ठाकुर का । वे वेदान्त दर्शन से गहरे तक प्रभावित थे और राष्ट्रीय चेतना और यथार्थवादी दृष्टि में उनका अगाध विश्वास था । प्रमुख कृतियाँ : राम की शक्ति-पूजा, तुलसीदास, सरोज स्मृति, कुकुरमुत्ता, अनामिका, अणिमा, नये पत्ते, बेला (काव्य); अप्सरा, निरुपमा, प्रभावती, कुल्ली भाट, बिल्लेसुर बकरिहा (उपन्यास); चतुरी चमार, सुकुल की बीवी (कहानी-संग्रह); रवीन्द्र कविता कानन, चाबुक, प्रबन्ध पराग (निबन्ध तथा आलोचना) ।
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