Panchnama
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Panchnama (Hardcover, Virendra Jain)

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Panchnama  (Hardcover, Virendra Jain)

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Highlights
  • Binding: Hardcover
  • Publisher: Bharatiya Jnanpith-Vani Prakashan
  • Genre: Novel
  • ISBN: 9789355187468
  • Edition: 1st, 1996
  • Pages: 280
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VaniPrakashan
3.6
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  • Description
    पंचनामा - अनाथ बेटे-बेटियों के परिवेश को अनाथ आश्रम के सन्दर्भ में रेखांकित करता यह उपन्यास 'पंचनामा' हालाँकि एक पारम्परिक और आदर्शवादी नायक की छवि ही प्रस्तुत करता है, लेकिन उपन्यास समाप्त होने से पहले बहुत दूर तक यह पंचनामा न तो किसी एक नायक का है और न किसी एक अनाथ का, बल्कि यह पंचनामा है उस समाज का जो अनाथ का दर्द नहीं समझ पाता; और है उस व्यवस्था का जिसने अनाथ आश्रम जैसी संस्थाओं को जन्म दिया है। उस प्रशासनिक ढाँचे का जो अनाथ आश्रमों का प्रबन्ध सम्भालता है। इस सन्दर्भ में बहुत सारे सवाल उठते हैं। किसी भी आश्रम की पहली ज़रूरत क्या है— दया, कृपा, सहानुभूति अथवा स्रेह, आत्मीयता, बन्धुत्व और ममत्व? यह अहसास कि वह लाचार नहीं है या यह बोध कि वह हमेशा किसी दानी का शुक्रगुज़ार बना रहे? वह दो जून रोटी खाकर अपने पेट को शान्त कर ले और आँखों में भूख लिए फिरता रहे, या वह पाये कि जीवन का दूसरा नाम है स्वाभिमान और रोटी का मतलब है उसका हक़। उपन्यास में दसियों अनाथ बच्चे अपनी तमाम परिवेशगत अच्छाइयों, बुराइयों, शरारतों, नेकियों, शराफ़त, ग़ुस्से और प्यार के साथ अपनी तरफ़ ध्यान देने को बाध्य करते हैं। उन्हें अपनी नेकी के सिले की चिन्ता नहीं है, तो उद्दण्डता के प्रति कोई शर्मिन्दगी भी नहीं। वे अभाव से प्यार नहीं करते, अभाव में रह रहे हैं। वर्तमान सामाजिक व्यवस्था का यह उपहार हमारा सामना किस पीढ़ी से करवायेगा? दरअसल, ये तमाम बातें कहने की नहीं, सोचने की हैं। और नयी पीढ़ी के प्रतिष्ठित उपन्यासकार वीरेन्द्र जैन का यह उपन्यास सोचने का भरपूर अवसर अवश्य देता है।
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    Specifications
    Book Details
    Publication Year
    • 1996
    Contributors
    Author Info
    • वीरेन्द्र जैन – राजघाट बाँध की डूब में बिला चुके मध्य प्रदेश के सिरसौद गाँव में 5 सितम्बर, (शिक्षक दिवस) 1955 को जन्म। कुछ वर्ष तक प्रकाशन जगत से जुड़े रहने के बाद पिछले तीस वर्ष से पत्रकारिता से सम्बद्ध। प्रकाशन: अब तक लगभग तीस पुस्तकें प्रकाशित। प्रमुख: 'डूब', 'पार', 'पंचनामा', 'दे ताली', 'गैल और गन' (उपन्यास); 'बात बात में बात', 'तीन चित्रकथाएँ', 'बीच के बारह बरस', 'भार्या' (कहानी संग्रह); 'बहस बीच में' (व्यंग्य-संग्रह); 'हास्य कथा बत्तीसी' (किशोर कथाएँ); 'अभिवादन और ख़ेद सहित' (फुटकर गद्य)। सम्पादन: 'ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता साहित्यकार' और 'सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ग्रन्थावली'। वीरेन्द्र जैन के साहित्य पर विभिन्न विश्वविद्यालयों में कई शोधार्थियों द्वारा एम.फिल., पीएच. डी.। पुरस्कार/सम्मान: प्रेमचन्द महेश सम्मान, अखिल भारतीय वीरसिंह देव पुरस्कार (म.प्र. साहित्य परिषद), श्रीकान्त वर्मा स्मृति सम्मान, निर्मल पुरस्कार, साहित्य कृति सम्मान (हिन्दी अकादमी, दिल्ली), वागीश्वरी पुरस्कार (म.प्र. हिन्दी साहित्य सम्मेलन), बाल साहित्य पुरस्कार (हिन्दी अकादमी, दिल्ली), अखिल भारतीय नेताजी सुभाष चन्द्र बोस सम्मान।
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