Prem Darshan

Prem Darshan (Hardcover, Osho)

Share

Prem Darshan  (Hardcover, Osho)

4.6
46 Ratings & 1 Reviews
Special price
₹265
270
1% off
i
Coupons for you
  • Special PriceGet extra ₹32 off on 1 item(s)
    T&C
  • Available offers
  • Bank Offer5% cashback on Axis Bank Flipkart Debit Card up to ₹750
    T&C
  • Bank Offer5% cashback on Flipkart SBI Credit Card upto ₹4,000 per calendar quarter
    T&C
  • Bank OfferFlat ₹50 off on Flipkart Bajaj Finserv Insta EMI Card. Min Booking Amount: ₹2,500
    T&C
  • Bank Offer5% cashback on Flipkart Axis Bank Credit Card upto ₹4,000 per statement quarter
    T&C
  • Delivery
    Check
    Enter pincode
      Delivery by31 Dec, Wednesday
      ?
    View Details
    Author
    Read More
    Highlights
    • Binding: Hardcover
    • Publisher: Osho Media International
    • ISBN: 9788172613945
    • Edition: 2020
    • Pages: 124
    Services
    • Cash on Delivery available
      ?
    Seller
    Repro Books on Demand
    4.1
    • 7 Days Replacement Policy
      ?
  • See other sellers
  • Description
    प्रेम है द्वार, प्रेम है मार्ग और प्रेम ही है प्राप्ति। मनुष्य की भाषा में ‘प्रेम’ से ज्यादा बहुमूल्य और कोई शब्द नहीं। लेकिन बहुत कम सौभाग्यशाली लोग हैं जो प्रेम से परिचित हो पाते हैं। क्योंकि प्रेम की पहली शर्त ही आदमी पूरी नहीं कर पाता। और पहली शर्त पूरी करनी थोड़ी कठिन भी है। पहली शर्त यह है कि जो आदमी अपने अहंकार को मिटाने को राजी है, वही केवल प्रेम को उपलब्ध हो सकता है। ओशो पुस्तक के कुछ मुख्य विषय-बिंदु: • आपने कभी किसी को प्रेम किया? • आपके पास समन्वय की दृष्टि है या विश्लेषक की? • कौन सी चीज है जो आदमी के प्रेम को रोके हुए है? • प्रेम से ज्यादा और कोई दर्शन और दृष्टि नहीं है धर्म को हमने अभ्यास बनाया था, अतीत युगों में। धर्म को अभ्यास नहीं बनाया जा सकता। धर्म प्रेम की तरह की घटना है। इसलिए मैं कहता हूं: धर्म प्रेम है। और जो प्रेम के इस राज को समझ लेता है, वही केवल धर्म के राज को समझ सकता है। और जीसस का यह वचन बहुत महत्वपूर्ण है, जहां उन्होंने कहा है: ‘लव इ़ज गॉड।’ जहां उन्होंने कहा है: ‘प्रेम ही प्रभु है।’ असल में, प्रेम ही प्रभु है, इसका मतलब है कि प्रेम के घटने का जो मार्ग है, धर्म के घटने का भी वही मार्ग है। ओशो मैं मानता हूं कि भविष्य में कोई भी धर्म जो मनुष्य को संसार-विमुख करता होगा, वह धर्म जिंदा नहीं रह सकता, उसके मरने की घड़ी आ गई है। ऐसा धर्म चाहिए जो संसार को रूपांतरित करता हो, संसार से भगाता न हो। ऐसा धर्म चाहिए जो गृहस्थ को संन्यासी न बनाता हो, जो गृहस्थ होने में ही संन्यास को ले आता हो। ऐसा धर्म चाहिए जो जिंदगी के बीच हमें मिल जाए, जिंदगी को छोड़ कर जिसके लिए हमें जाना और भागना न पड़े। ओशो
    Read More
    Specifications
    Book Details
    Publication Year
    • 2020
    Dimensions
    Weight
    • 198
    Frequently Bought Together
    Prem Darshan
    4.6
    (46)
    ₹233
    270
    13% off
    Dhyan Aur Prem
    4.6
    (93)
    ₹234
    Please add at least 1 add-on item to proceed
    Ratings & Reviews
    4.6
    46 Ratings &
    1 Reviews
    • 5
    • 4
    • 3
    • 2
    • 1
    • 37
    • 4
    • 2
    • 0
    • 3
    5

    Worth every penny

    Very nice book.
    READ MORE

    Ravi Prabhat

    Certified Buyer, Begusarai

    Dec, 2021

    1
    0
    Report Abuse
    Be the first to ask about this product
    Safe and Secure Payments.Easy returns.100% Authentic products.
    You might be interested in
    Puzzles And Cubes
    Min. 50% Off
    Shop Now
    Regular
    Min. 30% Off
    Shop Now
    Politics Books
    Min. 50% Off
    Shop Now
    Other Self-Help Books
    Min. 50% Off
    Shop Now
    Back to top