मेरी पहचान (काव्य - लेख संग्रह) में कवि अपने, अनुभवों के समिधा साहित्य यज्ञ कुण्ड में आहुति समर्पित कर एक विशिष्ट सामाजिक ढांचा और संघर्षरत समिष्टि प्रज्ज्वलित किया हुआ है।
सामाजिक प्रगाढ़ता, आडम्बर धारियों पर किलिष्ट प्रहार किया हुआ है, तो जन चेतना में प्रेम अंकुरण पुष्प खिला दिया है।
नव युवा पीढ़ियों के जन मानस के पटल पृष्ठ परिधि पर कर्त्तव्य पूर्ण सानिध्य समर्पण से सजा तार्किक परिणति पर कसा हुआ प्रतीत होता है।
कवि ने आध्यात्मिक धरातल से जुड़ा हुआ, सामाजिक परि ढांचा का अभिकल्पन से परिपूर्ण आदर्श स्तंभ स्थापित किया है।