"घूंघट" काव्य संग्रह और उसमें दो खंडों में उद्धत कविताएं कवि की प्रेयसी, उसके सलोने रुप, उसकी चंचलता, सौम्यता, और उसके बचपन एवम यौवनावस्था के प्रति अपने दिल में उपजे आकस्मिक प्रेम, स्नेह, मनोकामनाओं, समर्पण एवम पवित्र अनुशासन का एक संपूर्ण जीवन दर्शन है।
या ये कहा जा सकता है कि बाल्यावस्था, यौवनावस्था से होते हुए प्रौढावस्था और उन भौतिक अवस्थाओं की विभिन्न परिस्थितियों से रूबरू करवाते हुए आध्यात्मिक दर्शन की स्थित तक पहुंचाने वाली आपकी हमसफ़र कृति है।