पुरुष -
'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से सम्मानित श्रीनरेश मेहता के काव्य पुरुष में प्रकृति ही नहीं, पुरुष पुरातन की भी भाव-लीलाएँ हैं, जिनमें सामान्य मनुष्य की सहभागिता है। इस कारण यह काव्य दर्शन जैसा बोझिल न होकर जीवन-सौन्दर्य और भाषा के लालित्य से आप्लावित है।
देहावसान के कुछ समय पूर्व से नरेशजी ब्रह्माण्ड पर एक काव्य रचना चाह रहे थे। वे अहर्निश चिन्तन-मनन में डूबे रहते थे। उन्होंने अनुभव किया कि मनुष्य और ब्रह्माण्ड दो धुव्रों के बीच मानवीय विचारयात्रा सम्पन्न होती है। ब्रह्माण्ड के अतुल विस्तार में मनुष्य एक बिन्दुमात्र है जबकि दूसरी ओर वह उसका द्रष्टा है और इस नाते उसका अतिक्रामी । वे इसी आधारभूमि पर सम्भवतः खण्ड-काव्य लिख रहे थे जो उनके निधन से दुर्भाग्यवश अधूरा रह गया । ब्रह्माण्ड विषयक उसी काव्य का एक महत्त्वपूर्ण खण्ड है पुरुष, जो अपने में पूर्ण है।
पुरुष और प्रकृति के युगनद्ध से रचा सृष्टि- बोध नरेशजी के जीवनराग की कोमलता का पर्याय है। यही प्रतीति उनके कवि को पूर्णता देती है।
पुरुष काव्य-खण्ड की प्रकृति उर्वशी की भाँति रमणीय तो है पर सृष्टि के सन्दर्भ में उसके अनगढ़ या ज्वलन्त विराट रूप के हमें दर्शन होते हैं। पुरुष और प्रकृति की पारस्परिकता, निर्भरता और एक दूसरे में विलय का जो मनोरम वर्णन इस प्रकृति में मिलता है वह सृष्टि की अद्भुत व्याख्या के रूप में हमारे सामने आता है।
भारतीय ज्ञानपीठ श्रीनरेश मेहता के इस काव्य-खण्ड को प्रकाशित करते हुए सन्तोष का अनुभव करता है कि गम्भीर और मर्मज्ञ पाठक के लिए उसे एक परा और अपरा संवेदी कृति प्रस्तुत करने का अवसर मिल रहा है।
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Specifications
Book Details
Publication Year
2024
Contributors
Author Info
श्रीनरेश मेहता -
'ज्ञानपीठ पुरस्कार' से विभूषित श्रीनरेश मेहता आधुनिक भारतीय साहित्य के शीर्षस्थ कवि, कथाकार और चिन्तक हैं।
15 फ़रवरी 1922 को शाजापुर में जनमे श्री मेहता की लगभग पचास कृतियाँ प्रकाशित हो चुकी हैं। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा उनकी प्रतिनिधि कविताओं का अन्यतम संकलन चैत्या प्रकाशित हुआ है। उनके जीवन पर एक महत्त्वपूर्ण कृति उत्सव पुरुष : श्रीनरेश मेहता (लेखिका-महिमा मेहता) भी ज्ञानपीठ से प्रकाशित है।
'ज्ञानपीठ पुरस्कार' के अतिरिक्त श्रीनरेश मेहता को मध्य प्रदेश शासन के राजकीय सम्मान, 'सारस्वत सम्मान', मध्य प्रदेश के 'शिखर सम्मान', उत्तर प्रदेश के 'संस्थान सम्मान', हिन्दी साहित्य सम्मेलन के 'मंगला प्रसाद पारितोषिक', साहित्य अकादेमी पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के 'भारतभारती' सम्मान आदि से अलंकृत किया गया।
22 नवम्बर 2000 को उनका देहावसान हुआ।
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