संग्राम (Sangram) [Hardcover]

संग्राम (Sangram) [Hardcover] (Hardcover, प्रेमचन्द (Premchand))

Share

संग्राम (Sangram) [Hardcover]  (Hardcover, प्रेमचन्द (Premchand))

Be the first to Review this product
Special price
₹345
360
4% off
i
Coupons for you
  • Special PriceGet extra 10% off on 1 item(s) (price inclusive of cashback/coupon)
    T&C
  • Available offers
  • Bank Offer5% cashback on Flipkart Axis Bank Credit Card upto ₹4,000 per statement quarter
    T&C
  • Bank Offer5% cashback on Axis Bank Flipkart Debit Card up to ₹750
    T&C
  • Bank Offer10% offup to ₹1,500 on BOBCARD EMI Transactions of 6months and above tenures, Min Txn Value: ₹7,500
    T&C
  • Bank Offer10% off upto ₹1500 on RBL Bank EMI Transactions of 6 months and above tenure. Min Txn Value: ₹10000
    T&C
  • Delivery
    Check
    Enter pincode
      Delivery by24 Aug, Sunday
      ?
    View Details
    Highlights
    • Binding: Hardcover
    • Publisher: Gyan Publishing House
    • ISBN: 9788121265645
    • Edition: 2022
    • Pages: 204
    Services
    • Cash on Delivery available
      ?
    Seller
    Gyanbooks
    4.1
    • 7 Days Replacement Policy
      ?
  • See other sellers
  • Specifications
    Book Details
    Publication Year
    • 2022
    Contributors
    Author Info
    • लेखक के बारे में -ः धनपत राय श्रीवास्तव (1880 -1936) जो प्रेमचंद नाम से जाने जाते हैं, वो हिन्दी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवासदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्मभूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा आदि तीन सौ से अधिक कहानियाँ लिखीं। उनमें से अधिकांश हिन्दी तथा उर्दू दोनों भाषाओं में प्रकाशित हुईं। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिन्दी पत्रिकाओं जमाना, सरस्वती, माधुरी, मर्यादा, चाँद, सुधा आदि में लिखा। हिन्दी समाचार पत्र जागरण तथा साहित्यिक पत्रिका हंस का संपादन और प्रकाशन भी किया। इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बन्द करना पड़ा। प्रेमचंद फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग तीन वर्ष तक रहे। जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे। महाजनी सभ्यता उनका अंतिम निबन्ध, साहित्य का उद्देश्य अन्तिम व्याख्यान, कफन अन्तिम कहानी, गोदान अन्तिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अन्तिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है। 1906 से 1936 के बीच लिखा गया प्रेमचंद का साहित्य इन तीस वर्षों का सामाजिक सांस्कृतिक दस्तावेज है। इसमें उस दौर के समाजसुधार आन्दोलनों, स्वाधीनता संग्राम तथा प्रगतिवादी आन्दोलनों के सामाजिक प्रभावों का स्पष्ट चित्रण है। उनमें दहेज, अनमेल विवाह, पराधीनता, लगान, छूआछूत, जाति भेद, विधवा विवाह, आधुनिकता, स्त्री-पुरुष समानता, आदि उस दौर की सभी प्रमुख समस्याओं का चित्रण मिलता है। आदर्शाेन्मुख यथार्थवाद उनके साहित्य की मुख्य विशेषता है। हिन्दी कहानी तथा उपन्यास के क्षेत्र में 1918 से 1936 तक के कालखण्ड को ‘प्रेमचंद युग’ कहा जाता है।
    Be the first to ask about this product
    Safe and Secure Payments.Easy returns.100% Authentic products.
    You might be interested in
    Medical And Nursing Books
    Min. 50% Off
    Shop Now
    Finance And Accounting Books
    Min. 50% Off
    Shop Now
    Other Self-Help Books
    Min. 50% Off
    Shop Now
    General Fiction Books
    Min. 50% Off
    Shop Now
    Back to top