Ideologies of India: Gandhi and Savarkar in Their Own Words एक विशेष पुस्तक संग्रह है जिसमें भारत के दो सबसे प्रभावशाली लेकिन वैचारिक रूप से विपरीत व्यक्तित्वों — महात्मा गांधी और वीर विनायक दामोदर सावरकर — की मूल रचनाएँ प्रस्तुत की गई हैं। यह संग्रह न केवल इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए अत्यंत उपयोगी है, बल्कि उन सभी पाठकों के लिए एक बौद्धिक यात्रा है जो भारत के निर्माण में विभिन्न विचारधाराओं की भूमिका को समझना चाहते हैं।
Book 1: Satya Ke Sath Mere Prayog by Mahatma Gandhi ISBN: 9789350480489
‘सत्य के साथ मेरे प्रयोग’ महात्मा गांधी की आत्मकथा है, जिसे उन्होंने खुद लिखा है और जो उनके जीवन, संघर्ष, प्रयोगों और विचारधारा का प्रमाणिक दस्तावेज है। इस पुस्तक में गांधीजी ने अपने जीवन के प्रारंभिक वर्षों से लेकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके प्रवेश तक की यात्रा को आत्मनिष्ठ भाव से प्रस्तुत किया है। सत्य, अहिंसा, ब्रह्मचर्य और आत्मसंयम जैसे मूल्यों पर आधारित यह आत्मकथा एक आध्यात्मिक यात्रा के रूप में सामने आती है। गांधीजी ने अपने अनुभवों से यह बताया है कि कैसे एक साधारण व्यक्ति भी सत्य के मार्ग पर चलकर महान बन सकता है। यह पुस्तक उनके जीवन दर्शन, नैतिक संघर्षों और आत्मा की खोज को उजागर करती है, जो आज भी उतनी ही प्रासंगिक है।
Book 2: Hindutva by Vinayak Damodar Savarkar ISBN: 9789389982114
‘हिंदुत्व’ वीर सावरकर की एक विचारात्मक कृति है, जिसमें उन्होंने "हिंदू" की परिभाषा और भारत में हिंदुत्व की सांस्कृतिक, राजनीतिक और सामाजिक भूमिका को स्पष्ट किया है। इस पुस्तक में उन्होंने भारतीयता, राष्ट्रवाद और सांस्कृतिक एकता के अपने दृष्टिकोण को विस्तृत रूप से रखा है। सावरकर ने तर्क और इतिहास के आधार पर यह बताया है कि भारतवर्ष की पहचान उसके सांस्कृतिक मूल्यों और सभ्यतागत परंपराओं में निहित है। यह पुस्तक उन पाठकों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो भारत की वैचारिक नींव को गहराई से समझना चाहते हैं और यह जानना चाहते हैं कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान वैकल्पिक राष्ट्रवादी विचारधाराएं क्या थीं।
Ideologies of India संग्रह दो ऐसे महापुरुषों की रचनाओं को एक मंच पर प्रस्तुत करता है जिन्होंने अपने-अपने ढंग से भारत को परिभाषित किया और उसे प्रभावित किया। एक ओर गांधीजी की पुस्तक मानवता, आत्मशुद्धि और नैतिकता की शिक्षा देती है, तो दूसरी ओर सावरकर की पुस्तक राष्ट्रवाद, शक्ति और सांस्कृतिक गौरव की भावना को प्रकट करती है। दोनों रचनाएँ मिलकर एक ऐसी वैचारिक विविधता को दर्शाती हैं, जो भारत के लोकतांत्रिक और बहुविचारधारा वाले चरित्र को परिभाषित करती हैं। यह संग्रह हर गंभीर पाठक के लिए एक अनमोल धरोहर है।