सूरज का सातवाँ घोड़ा -
'सूरज का सातवाँ घोड़ा' यशस्वी साहित्यकार डॉ. धर्मवीर भारती का एक सफल प्रयोगात्मक उपन्यास है। संवेदना और संरचना की दृष्टि से इस उपन्यास ने एक अभूतपूर्व प्रसिद्धि अर्जित की है। लाखों लोगों ने इसे पढ़ा। इस उपन्यास पर बनी फ़िल्म की पर्याप्त सराहना हुई। उपन्यास के केन्द्रीय पात्र माणिक मुल्ला द्वारा सुनाई गयी अनेक कहानियाँ मूलतः एक ही जीवन सत्य को सम्पुष्ट करती हैं। प्रकाशवाही आत्मा को आगे ले जानेवाले तत्त्वों को डॉ. धर्मवीर भारती ने रोचक कथात्मक सूत्रों से स्पष्ट किया है।
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Specifications
Book Details
Imprint
Jnanpith Vani Prakashan
Publication Year
2020
Contributors
Author Info
धर्मवीर भारती -
जन्म: 25 दिसम्बर, 1926; इलाहाबाद (उ.प्र.)। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त कर वहीं अध्यापन कार्य। कई पत्र-पत्रिकाओं से जुड़े। अन्ततः धर्मयुग के सम्पादक के रूप में हिन्दी पत्रकारिता को नयी गरिमा प्रदान की।
प्रमुख कृतियाँ : साँस की क़लम से, मेरी वाणी गैरिक वसना, कनुप्रिया, सात गीत वर्ष, ठण्डा लोहा, सपना अभी भी, गुनाहों का देवता, सूरज का सातवाँ घोड़ा, बन्द गली का आख़िरी मकान, पश्यन्ती, कहनी अनकहनी, शब्दिता, अन्धा युग तथा मानव-मूल्य और साहित्य। 'पद्मश्री' सम्मान के साथ 'व्यास सम्मान' एवं अन्य अनेक राष्ट्रीय पुरस्कारों से अलंकृत।
निधन: 4 सितम्बर, 1997 ( मुम्बई)।
Dimensions
Height
220 mm
Length
140 mm
Weight
150 gr
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