इतिहास तीसरी आँख होता है । मनुष्य की दो आँखें आगे देखती हैं, इतिहास की आँख पीछे देखती है। जो समाज जितना पीछे भूतकाल में देख सकता है, वह उतना आगे भविष्य में दूर तक विचार भी कर सकता है। जो धनुर्धर होता है, वह प्रत्यंचा को श्रुति यानी कान तक खींचता है, दूर संधान करने की कोशिश करता है।
-धर्म की ग्लानि से
इस राष्ट्र का दर्शन क्या है ? हमारे राष्ट्र का इतिहास क्या है? हमारे राष्ट्र की परंपरा क्या है ? हमारे राष्ट्र का वैशिष्ट्य क्या है ? हमारे राष्ट्र का उद्देश्य क्या है? हमारे राष्ट्र की विश्व- जगत् में विशेषता क्या है ? हमारे राष्ट्र का विश्व - दृष्टि से कर्तव्य क्या है ? वैश्विक जागृति में जिम्मेदारी क्या है?
-डॉ. हेडगेवार और राष्ट्र दृष्टि से
डॉ. अंबेडकर ने धारा 370 का विरोध किया और जब शेख अब्दुल्ला ने डॉ. अंबेडकर जी को कहा कि हमको कश्मीर के लिए कुछ अधिक अधिकार दीजिए तो डॉ. साहब ने शेख अब्दुल्ला से कहा, तुम चाहते हो कि भारत कश्मीर की रक्षा करे, कश्मीरियों को पूरे भारत में समान अधिकार मिले,
पर भारत और भारतीयों को तुम कोई अधिकार नहीं देना चाहते। मैं भारत का कानून मंत्री हूँ और मैं अपने देश के साथ इस तरह की धोखाधड़ी और विश्वासघात करने में शामिल नहीं हो सकता ।
डॉ. भीमराव अंबेडकर : एक असाधारण बहुआयामी व्यक्तित्व से
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Specifications
Book Details
Imprint
Prabhat Prakashan
Publication Year
2023 July
Edition Type
Hindi Edition
Number of Pages
232
Net Quantity
1
Contributors
Author Info
अनिल जोशी प्रख्यात कवि, लेखक और चिंतक हैं । 'मोर्चे पर ' और ' नींद कहाँ है'
उनके प्रकाशित काव्य-संग्रह हैं । प्रवासी साहित्य पर 'नई जमीन, नया आसमान' व उनके द्वारा संयुक्त रूप से संपादित 'भारतीय परिप्रेक्ष्य' उनकी चर्चित पुस्तकें हैं। उन्होंने गृह मंत्रालय, राजभाषा विभाग में विभिन्न पदों पर काम किया है। एक राजनयिक के रूप में वे ब्रिटेन और फीजी में नौ वर्षों तक रहे। वे केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल, शिक्षा मंत्रालय के उपाध्यक्ष व वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष, भारतीय भाषा मंच और अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् के प्रमुख पदाधिकारी हैं। वे 'संकल्प' संस्था के संस्थापक सदस्य हैं और वर्तमान में संकल्प फाउंडेशन के महामंत्री हैं। भारतीय भाषाओं को विभिन्न क्षेत्रों, विशेषकर व्यावसायिक शिक्षा में ले जाने में इनकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है। ये शिक्षा मंत्रालय द्वारा इस संबंध में गठित कार्यदल के सदस्य भी रहे हैं ।
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राजेंद्र आर्य ने जयपुर मालवीय नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से सिविल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। वे
सूर्या फाउंडेशन के संस्थापक
सदस्य हैं। वे सूर्या रोशनी लिमिटेड कंपनी में ग्यारह वर्ष डायरेक्टर रहे। संकल्प से 25 से भी अधिक वर्षों जुड़े हैं। संप्रति 'संकल्प' के प्रमुख पदाधिकारी हैं ।
'भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत प्रशासकों के
अपने कार्यक्षेत्र के अनुभव' शीर्षक से दो खंडों में पुस्तकाकार रूप में प्रकाशित व उनके द्वारा संयुक्त
रूप से संपादित 'भारतीय परिप्रेक्ष्य' इनकी प्रमुख पुस्तकें हैं। वे भारतीय जनता पार्टी, केंद्रीय प्रशिक्षण
संस्थान की केंद्रीय टोली के 17 वर्षों तक सदस्य भी रहे हैं।