Yaani

Yaani (Paperback, Jon (Jaun) Elia, Edited by Dr. Kumar Vishwas, Transliteration Deepak Ruhani)

Share

Yaani  (Paperback, Jon (Jaun) Elia, Edited by Dr. Kumar Vishwas, Transliteration Deepak Ruhani)

4.5
55 Ratings & 2 Reviews
₹193
304
36% off
i
Coupons for you
  • Special PriceGet extra 5% off upto ₹25 on 1 item(s) (price inclusive of cashback/coupon)
    T&C
  • Available offers
  • Bank Offer100% Cashback on Axis Bank SuperMoney Rupay CC UPI transactions on super.money UPI
    T&C
  • Bank Offer5% Unlimited Cashback on Flipkart Axis Bank Credit Card
    T&C
  • Delivery
    Check
    Enter pincode
      Delivery by15 Jun, Sunday|Free
      ?
      if ordered before 12:59 PM
    View Details
    Highlights
    • Binding: Paperback
    • Publisher: Vani Prakashan
    • Genre: Ghazal/Nazm
    • ISBN: 9789357757140
    • Edition: 1st, 2023
    • Pages: 202
    Services
    • Cash on Delivery available
      ?
    Seller
    Shanti2
    (New Seller)
    (Not Enough Ratings)
    • 7 Days Replacement Policy
      ?
  • See other sellers
  • Description
    जॉन साहब का एक और संकलन 'यानी' आपके हाथ में है। अंग्रेज़ी के लोकप्रिय नाटककार शेक्सपियर ने खूब सारा रचा लेकिन हर बार अपने रचे को शीर्षक की हद में बाँधने के समय वे पसोपेश में दिखाई पड़े। दरअसल अपने बच्चे को नाम देते समय आपकी झिझक, उस नाम के प्रति दुनिया की स्वीकार्यता के दरवाज़े पर बन्धक दिखाई देती ही है। लेकिन जॉन भाई के यहाँ ये झिझक शुद्ध शायर होने की उनकी सहजता के सम्मुख आत्मसमर्पण कर देती है। 'यानी' जॉन साहब के इसी खुले आकाश जैसे कहन का एक ऐसा रुहानी रौशनदान है जिससे छनकर उनकी ग़ज़लों की रश्मियाँ आत्मा के जलाशय में हर बार नया इन्द्रधनुष रच देती हैं। -भूमिका से
    Read More
    Specifications
    Book Details
    Publication Year
    • 2023
    Contributors
    Author Info
    • जॉन एलिया - पाकिस्तान के मशहूर कवि, शायर और दार्शनिक । जन्म : 14 दिसम्बर 1931, अमरोहा, उत्तर प्रदेश । पाकिस्तान के स्वतन्त्र राष्ट्र बन जाने के बाद जॉन एलिया 1957 में स्थायी रूप से कराची में बस गये । रजब के तेरहवें दिन (जो कि इमाम अली का भी जन्मदिन है) जन्म लेने के कारण वे ख़ुद को पैग़म्बर मुहम्मद की वंश-परम्परा से सम्बद्ध सैयदों का वंशज कहा करते थे। उन्होंने इस्लामी न्यायशास्त्र के 'देवबन्द स्कूल' में अध्ययन किया था। इस एक तथ्य के अलावा उन्होंने कभी भी अपने आप को धर्म या सम्प्रदाय से नहीं जोड़ा। हालाँकि शुरुआती नापसन्दगी के बावजूद भी वे मार्क्सवाद के राजनीतिक दर्शन से गहरे जुड़े थे लेकिन उन्होंने बराबर अपने आपको एक प्रवासी और अराजक ही समझा। जॉन एलिया को उर्दू के साथ-साथ अरबी, अंग्रेज़ी, फ़ारसी, संस्कृत और हिब्रू भाषा की अच्छी जानकारी थी। उनके बारे में शायर पीरजादा कासिम का कहना है, "भाषा को लेकर जॉन बहुत ख़ास रुख अख्तियार करते थे। उनकी भाषा की जड़ें क्लासिकल परम्परा में हैं लेकिन वे अपनी कविता और शायरी के लिए हमेशा नये विषयों को अपनाने से भी नहीं चूके। जॉन ताउम्र एक आदर्श की खोज में लगे रहे लेकिन दुर्भाग्यवश उसे पा न सके जिसके कारण उनके भीतर एक अजीब असन्तोष और खिन्नता घर कर गयी। उन्हें लगता रहा कि उन्होंने अपना हुनर और प्रतिभा यूँ ही जाया कर दिया है।" जॉन एलिया की कविता और शायरी की प्रमुख कृतियों में शुमार हैं- 'शायद' (1991), 'यानी' (2003), 'गुमान' (2006) और 'गोया' (2008)। उन्होंने अरबी और फ़ारसी भाषा से अत्यन्त महत्त्वपूर्ण अनुवाद भी किये हैं। यह उनके अनुवाद की मौलिकता ही कही जायेगी कि अरबी-फ़ारसी की मूल कृतियों का अनुवाद करते हुए उन्होंने उर्दू भाषा के कई नये शब्दों का आविष्कार किया है। उनकी प्रमुख अनूदित कृतियाँ हैं : 'मसीह-ए-बगदाद हल्लाज', 'ज्योमेट्रिया', 'तवासिन', 'इसागोजी', 'रहीश-ओ-कुशैश' और 'रसल अख़्वान-उस-सफ़ा' । 'फरनूद' (2012) जॉन एलिया के विचारप्रधान लेखों का संकलन है जिसमें 1958 और 2002 के बीच लिखे गये निबन्ध और लेख शामिल हैं। इन लेखों में जॉन ने राजनीति, संस्कृति, इतिहास, भाषाशास्त्र जैसे विविध विषयों पर अपने विचार व्यक्त किये हैं। 'फरनूद' में अदबी जर्नल 'इंशा' (जिसका सम्पादन वे खुद करते थे), 'आलमी डाइजेस्ट' और ज़िन्दगी के आख़िरी दौर में 'सस्पेंस डाइजेस्ट' के लिए लिखे गये निबन्धों का संकलन किया गया है। निधन : 8 नवम्बर 2002 ܀܀܀ डॉ. कुमार विश्वास - डॉ. कुमार विश्वास का पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद जिले में, 10 फ़रवरी 1970 को वसन्त पंचमी के दिन जन्म हुआ। कलावादी माँ का लयात्मक लोकज्ञान व प्राध्यापक पिता का भयात्मक अनुशासन साथ-साथ मिले। इंजीनियरिंग से लेकर प्रादेशिक सेवा तक और कामू से लेकर कामशास्त्र तक, थोक में भटके, पर अटके सिर्फ साहित्य पर। आईआईटी से लेकर आईटीआई तक और कुलपतियों से लेकर कुलियों तक, उनके चाहने वालों की फेहरिस्त भारत की लोकतान्त्रिक समस्याओं जैसी विविध व अन्तहीन है। वे टीवी की रंगीन स्क्रीन से लेकर एफएम रेडियो के माइक्रो स्पीकर तक हर जगह सुनाई-दिखाई देते हैं। करोड़ों युवा उनसे प्रेरणा पाते हैं और साहित्य को विस्तार देने के सुपथ पर बढ़ते हैं। प्रकाशित कृतियाँ : अब तक आपकी चार पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं-इक पगली लड़की के बिन (1996), कोई दीवाना कहता है (2007), फिर मेरी याद (2019) और वाणी प्रकाशन द्वारा प्रकाशित शोध पुस्तक ब्रज व कौरवी लोकगीतों में लोकचेतना (2021)1 सम्पादन : शायर जॉन एलिया की चार पुस्तकें : मैं जो हूँ जॉन एलिया हूँ, गुमान, लेकिन व यानी।
    Additional Features
    Age Group
    • 18 - 80 Years
    Frequently Bought Together
    Yaani
    4.5
    (55)
    ₹193
    304
    36% off
    Lekin
    4.4
    (273)
    ₹175
    1 Item
    193
    2 Add-ons
    512
    Total
    705
    Ratings & Reviews
    4.5
    55 Ratings &
    2 Reviews
    • 5
    • 4
    • 3
    • 2
    • 1
    • 39
    • 10
    • 3
    • 0
    • 3
    4

    Nice product

    Quality Is good enough. But there are so many difficult words. You might be facing difficulties to understand in the begining but if you read it with the passion it will be easier to understand.
    READ MORE

    Flipkart Customer

    Certified Buyer, Ludhiana District

    8 months ago

    3
    0
    Report Abuse
    4

    Delightful

    In a essence it is good for those who take interest in sayari. But in all it is not too much meaningful what I feel after reading.
    READ MORE

    Harsh Goyal

    Certified Buyer, Patran

    5 months ago

    0
    0
    Report Abuse
    Questions and Answers
    Q:Konsi Language me ye book hai
    A:Hindi
    Sourabh Lamba
    Certified Buyer
    1
    0
    Report Abuse
    Didn't get the right answer you were looking for
    Safe and Secure Payments.Easy returns.100% Authentic products.
    You might be interested in
    Popular Psychology Books
    Min. 50% Off
    Shop Now
    Language And Linguistic Books
    Min. 50% Off
    Shop Now
    Politics Books
    Min. 50% Off
    Shop Now
    Other Self-Help Books
    Min. 50% Off
    Shop Now
    Back to top