भारत का लौह युग... लगभग 900 ई.पू. गंगा की गोद में जन्मे वासु अंगा के उग्र प्ांत में पले-बढे। उनके जीवन को एक ऐसे भाग्य ने आकार ददया जो न्यायसंगत नह ं हो सका - उनके अपने द्वारा उपेक्षित, उनके जन्मससद्ध अधधकार को छीन सलया गया - उनका पालन-पोषण इच्छाओं और ननराशा की खाई में खो जाने के सलए ककया गया था। अपने गुरु द्वारा शापपत, एकमात्र मदहला से आहत जजसे वह प्यार करता था, सूत का पुत्र होने के कारण समाज से बदहष्कृत कर ददया गया। अपने एकमात्र कवच - आशा - के साथ वह एक अपवस्मरणीय यात्रा पर ननकल पडा। अकेला। यह वासु की जीपवत रहने, सहनशजतत, सभी प्नतकूलताओं के सामने स्थायी साहस की कहानी है। और अंततः, सवकव ासलक महान योद्धा के रूप में पवकससत हुआ… कणव। अपने कट्टर शत्रु- कपट , बेईमान और सववशजततमान, जरासंध के खखलाफ एक अंनतम लडाई में, एक उपाधध के सलए जजसे वह जानता था कक वह उसका हकदार था। एक सूतपुत्र से लेकर जनता के नते ा तक, यह पवश्वासघात, खोए हुए प्यार और गौरव की गाथा है। यह कहानी है अंग देश के राजा की
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Specifications
Additional Features
Key Features
KARNA
Book Details
Title
Karna
Imprint
Simon & Schuster Publishers India Pvt Ltd
Publication Year
2024
Product Form
Paperback
Publisher
Simon & Schuster Publishers India Pvt Ltd
Genre
Fiction
ISBN13
9788197489587
Book Category
Fiction Books
BISAC Subject Heading
FIC010000
Number of Volumes
Single
Book Subcategory
Myths and Fairytale Books
ISBN10
8197489587
Language
Hindi
Contributors
Author Info
के पवन समसल ने 14 साल की उम्र में अपनी पहल ककताब सलखी थी, और 22 साल की उम्र में, सेंट स्ट फेंस स्नातक उनकी कजकक श्ंखृ ला की पहल दो ककताबों के साथ सबसे ज्यादा बबकने वाले लेखक थे, जो बेहद सफल रह ं। के पवन को फं तासी कथा पसंद है और वह हमेशा से पौराखणक कथाओं के प्शंसक रहे हैं। उनकी ककताबें संडे गाजजयव न, द न्यूइंडडयन एतसप्ेस और समलेननयम पोस्ट जैसे प्काशनों में छपी हैं। वह गुरुग्राम में रहते हैं और उनसे Kevin.s.missal@gmail.com. पर संपकव ककया जा सकता है।