क्यों तू 'कल' में जीता है?
'आज' तेरा क्यों रीता है!
क्यों आज भी तेरे साथ है
कल जो कुछ भी बीता है!
कितना भागेगा
कब तू जागेगा
सृष्टि ने आज दिया है
कल इससे क्या मांगेगा!?
कल की चिन्ता में
आज जाए
कल जब आए
पश्चाताप खाए!
क्या "कल" जिया था
जो "कल" जी पायेगा
है आज ही शाश्वत सत्य
कौन तुझे समझाएगा!
जीवन आज में घटता है
समय आज में कटता है
जो जनम लिया वो "आज" था
"आज" में ही जनम सिमटता है!